31अगस्त2018
दोहे
विषयःमुनि
1.
मुनि औरों का हित करें,चाहे नित आत्म ज्ञान ।
सच्चे मन से मनन करें, मिल जाएँ भगवान।।
2.
धुनी रमाकर हित करें,अंधकार को दूर।
निज हित से उपर रहे, उस पर रब का नूर।।
3.
तिलक तावीज से भान, घूमते चहूँ ओर।
सद्गुण ही पावन निधान, क्यूँ करते सब शोर।।
4.
सद् मुनि वंदन चिर निरुपम, करते जग का ज्ञान।
सृष्टि वंदन चिर निरुपम, इसका भी करों ध्यान।।
5.
दिव्यपुंज करते समस्त भाव को,जोड़ते हर
विधान।
निश्च्छल करते हृदय को,हैं सारे एक समान।।
6.
श्रेय और प्रेय के भाव, अपने मन का पीर।
तृष्णा है सबके भाव, रख लो मन का धीर
© पम्मी सिंह 'तृप्ति'.✍
दोहे
विषयःमुनि
1.
मुनि औरों का हित करें,चाहे नित आत्म ज्ञान ।
सच्चे मन से मनन करें, मिल जाएँ भगवान।।
2.
धुनी रमाकर हित करें,अंधकार को दूर।
निज हित से उपर रहे, उस पर रब का नूर।।
3.
तिलक तावीज से भान, घूमते चहूँ ओर।
सद्गुण ही पावन निधान, क्यूँ करते सब शोर।।
4.
सद् मुनि वंदन चिर निरुपम, करते जग का ज्ञान।
सृष्टि वंदन चिर निरुपम, इसका भी करों ध्यान।।
5.
दिव्यपुंज करते समस्त भाव को,जोड़ते हर
विधान।
निश्च्छल करते हृदय को,हैं सारे एक समान।।
6.
श्रेय और प्रेय के भाव, अपने मन का पीर।
तृष्णा है सबके भाव, रख लो मन का धीर
© पम्मी सिंह 'तृप्ति'.✍