Jan 23, 2023

आहोजारी..

 


आहोजारी करें तो भी किससे करें,

हम अपनों से ही ठोकर खाये हुये है।

कहने को रिश्तों के रूप बहुत है मगर,

हम कुछ रिश्ते को निभाकर साये हुये हैं।

पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️

(आहोजारी-शिकायत)

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आजकल ..

मौसम बदलते हैं, जादू की तरह,
दिन निकलते है ,जुगनू की तरह,
बदल डालें पैरहन, मिजाज देख
फिर रू-ब-रू हुये ,सर्द गुल-रू की तरह।
पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️
(गुल-रू-rosy face)

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समस्या दिखाई भी जा रही है

 समस्या बताई भी जा रही है

 सब हैं हैरान परेशान नादान,

 रिश्ते पर,निभाई भी जा रही है।

तृप्ति

Jan 6, 2023

है..सरमा पे कुछ दिन की..


अंदाज ए गुफ्तगूं ,अंज क्या बदला
समा,रंग,बहार का,अकदार बदला
है..सरमा पे कुछ दिन की महफिल
लहजा ए जिंदगी का गुलजार बदला।
पम्मी सिंह 'तृप्ति'

(सरमा-सर्दी, जाड़ा
अकदार -मूल्य, मापदंड, अंज-पृथ्वी)

अनकहे का रिवाज..

 जिंदगी किताब है सो पढते ही जा रहे  पन्नों के हिसाब में गुना भाग किए जा रहे, मुमकिन नहीं इससे मुड़ना सो दो चार होकर अनकहे का रिवाज है पर कहे...