Nov 18, 2018

माहिया




माहिया 
1
रंग की धारा गुनती
पिया की आश में
भावों के रंग बुनती।

2
 सपनें कई निहारें
 टोह रही गोरी
संदली पांव उतारें

3
हसरतों में भीगते
नम होती आँखें
मुंतज़िर शाद वफा के।
4
दर्पण  हसरतों की
कई बातों की
इंतजार वस्ल की।
                                  पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍

अनकहे का रिवाज..

 जिंदगी किताब है सो पढते ही जा रहे  पन्नों के हिसाब में गुना भाग किए जा रहे, मुमकिन नहीं इससे मुड़ना सो दो चार होकर अनकहे का रिवाज है पर कहे...