अनभिज्ञ हूँ काल से सम्बन्धित सारर्गभित बातों से , शिराज़ा है अंतस भावों और अहसासों का, कुछ ख्यालों और कल्पनाओं से राब्ता बनाए रखती हूँ जिसे शब्दों द्वारा काव्य रुप में ढालने की कोशिश....
Nov 23, 2015
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अनकहे का रिवाज..
जिंदगी किताब है सो पढते ही जा रहे पन्नों के हिसाब में गुना भाग किए जा रहे, मुमकिन नहीं इससे मुड़ना सो दो चार होकर अनकहे का रिवाज है पर कहे...
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ख्वाबों की जमीन तलाशती रही अर्श पे दर्ज एहकाम की त लाश में कितनी रातें तमाम हुई इंतजार, इजहार, गुलाब, ख्वाब, वफा, नशा उसे पा...
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पापा .. यूँ तो जहां में फ़रिश्तों की फ़ेहरिस्त है बड़ी , आपकी सरपरस्ती में संवर कर ही ख्वाहिशों को जमीं देती रही मग...
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न जाने क्यूँ पेश आती .. कभी हमें भी यकीन था..,पर कभी-कभी जिंदगी न जाने क्यूँ पेश आती है अजनबियों की तरह इन आँखों में ब...