लफ्ज़ जो बयां न हो सका
तन्हाइयों में मुखर हो जाता
कोई है जो उसी मोड़ पर रुका, कोई है जो संग चला
वो सलीके से हवाओं में खुशबू बिखर जाता
कीमियागर बना है, कई अनाम लम्हातों का
तन्हाइयों में रकाबत का रिश्ता भी निखर जाता
रहगुज़र है तन्हा ,ग़म -ओ- नाशात का
इस अंधे शहर में जख्म फूलों का प्रखर जाता
लो आई है बहारे, जज़्ब हसरतों का
काविशों का मौसम में ही,
शऊर जिंदगी का निखर जाता
पम्मी सिंह ' तृप्ति '...✍
कीमियागर :रसायन विधा को जानने वाला
काविश: प्रयत्न,
रहगुज़र :रास्ता, पथ
रकाबत: प्रति द्वंद्वी,प्रणय की प्रतियोगिता