Mar 31, 2018

लफ्ज़ जो बयां ..



















लफ्ज़ जो बयां न हो सका
तन्हाइयों में मुखर हो जाता 

कोई है जो उसी मोड़ पर रुका, कोई है जो संग चला
वो सलीके से हवाओं में खुशबू बिखर जाता

कीमियागर बना है, कई अनाम लम्हातों का
तन्हाइयों में रकाबत का रिश्ता भी निखर जाता 

रहगुज़र है तन्हा ,ग़म -ओ- नाशात का
इस अंधे शहर में जख्म फूलों का प्रखर जाता

लो आई है बहारे, जज़्ब हसरतों का
काविशों का मौसम में  ही,
 शऊर जिंदगी का निखर जाता
पम्मी सिंह ' तृप्ति '...✍



कीमियागर :रसायन विधा को जानने वाला
काविश: प्रयत्न, 
रहगुज़र :रास्ता, पथ
रकाबत: प्रति द्वंद्वी,प्रणय की प्रतियोगिता

28 comments:

  1. तन्हाइयों में रकाबत का रिश्ता भी निखर जाता ......वाकई, नगमानिगार हैं कीमियागर भी, कई अनाम लम्हातों का!!!मुबारक और आभार!!!!

    ReplyDelete
    Replies
    1.  शुभेच्छा सम्पन्न प्रतिक्रिया‎ हेतु हृदयतल से आभार।

      Delete
  2. बहुत खूब।
    लफ्ज़ जो बयां ना हो सके
    तन्हाई में मुखर हो जाता।।
    सुभानअल्लाह।

    ReplyDelete
    Replies
    1.  शुभेच्छा सम्पन्न प्रतिक्रिया‎ हेतु हृदयतल से आभार ..

      Delete
  3. ख़ूबसूरत अल्फ़ाज़ बयान कर रहे गहरे जज़्बात। हमारे एहसासों से गुजरती एक शानदार नज़्म। नए पंख की खुशबू नज़्म को ख़ूबसूरत रंग दे रही है। बधाई एवं शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
    Replies
    1.  शुभेच्छा सम्पन्न प्रतिक्रिया‎ हेतु हृदयतल से आभार ..

      Delete
  4. वाह!!! बहुत खूब... अप्रतिम अल्फ़ाज़

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत- बहुत धन्यवाद

      Delete
  5. मन को छूनेवाली सुन्दर रचना है

    ReplyDelete
  6. बहुत सुंदर शब्द-शिल्प से सजी शानदार रचना...वाह्ह्ह..👌👌👌

    ReplyDelete
    Replies
    1.  शुभेच्छा सम्पन्न प्रतिक्रिया‎ हेतु हृदयतल से आभार 

      Delete
  7. आप एहसासों को बाँध लेती हैं और जाने नहीं देती पाठक अपनी नज़्म से दूर बहुत देर तक....
    हर बार कुछ ऐसा ही महसूस होता है कि कलम ने बाँध लिया है।
    बहुत गहरे जज़्बात।
    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1.  शुभेच्छा सम्पन्न शब्दावली से प्रतिक्रिया‎ हेतु हृदयतल से आभार 

      Delete
  8. कीमियागर है कई अनाम लम्हातों का
    तन्हाइयों में रकाबत का रिश्ता भी निखर जाता
    बहुत ही सुन्दर....
    लाजवाब नज्म
    वाह!!!

    ReplyDelete
    Replies
    1.  शुभेच्छा सम्पन्न प्रतिक्रिया‎ हेतु हृदयतल से आभार 

      Delete
  9. बहुत उम्दा

    ReplyDelete
  10. वाह ...
    शब्दों की नज़ाकत पढ़ने का मज़ा दुगना कर रहे हैं ...
    बहुत लाजवाब लिखा है ...

    ReplyDelete
  11. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १३ अप्रैल २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    ReplyDelete

  12. लफ्ज़ जो बयां न हो सके
    तन्हाइयों में मुखर हो जाता

    कोई है जो उसी मोड़ पर रुका
    सलीके से हवाओं में खूशबू बिखेर जाता-- sबहुत मधुर सुकोमल भावों से भरी सलीकेदार रचना --प्रिय पम्मी जी सस्नेह --

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुभेच्छा सम्पन्न प्रतिक्रिया‎ हेतु हृदयतल से आभार

      Delete
  13. बेहद खूबसूरत प्रस्तुति ! बहुत खूब आदरणीया ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुभेच्छा सम्पन्न प्रतिक्रिया‎ हेतु हृदयतल से आभार

      Delete
  14. बेहतरीन भावाभिव्यक्ति .

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुभेच्छा सम्पन्न प्रतिक्रिया‎ हेतु हृदयतल से आभार

      Delete
  15. लो आई है बहारे, जज़्ब हसरतों का
    काविशों का मौसम में ही शऊर जिंदगी का निखर जाता... वाह बहुत खूब , सुन्दर रचना

    ReplyDelete

कैसी अहमक़ हूँ

  कहने को तो ये जीवन कितना सादा है, कितना सहज, कितना खूबसूरत असबाब और हम न जाने किन चीजों में उलझे रहते है. हाल चाल जानने के लिए किसी ने पू...