अच्छा लगता है जब विशिष्ट समकालीन संदर्भ और तुर्शी के साथ जीवन,समाज के पहलूओं को उजागर करतीं
लेख छपती है। इस सफ़र का हिस्सा आप भी बनिए,पत्रिकाओ को हमसफ़र बनाए व" राजनीति में धर्मकर्म " मोहरा बनती आम आदमी, दिल्ली प्रेस से प्रकाशित सामाजिक ,राजनीतिक पत्रिका " सरिता " जुलाई (द्वितीय) 2025 में पढे
बहुत सुंदर
ReplyDeleteWelcome to my blog
सादर
Deleteसच कहूँ तो, मुझे हमेशा अच्छा लगता है जब कोई पत्रिका समाज और राजनीति के असली मुद्दों को सीधे तरीके से सामने लाती है। "सरिता" की यही खासियत है कि ये सोचने पर मजबूर करती है और पल-पल का सच दिखाती है। धर्म और राजनीति जैसे टॉपिक पर लिखना आसान नहीं है, लेकिन जब कोई पत्रिका बिना लाग-लपेट सच कहती है, तो पढ़कर सुकून भी मिलता है और झटका भी।
ReplyDeleteसादर
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