जो इघर रुख करें..
तो दिखाए बवाल इनकी..
मुंसिफ की जमीर है
सवालों के घेरों में
सवालों के घेरों में
हाकिम भी वही
मुंसिफ भी वही
सैयाद भी वही
शिकायत भी कि बरबाद भी वही,
सो बीस साल से पहले
जम्हूरियत के दम पे बवाल कर बैठै,
समय के साथ
बदल लेते हैं लिहाज़
समय के साथ
बदल लेते हैं लिहाज़
खोखले शोर की शय हर सिम्त
मसीहा के नाम दोस्तों
सोची समझी..
सोची समझी..
ये कोई और खेल है
फकत सवाल है हमारी..
क्यूँ इस्तहारों के नाम पे
आप बवाल बेचते हैं?
पम्मी सिंह..✍