जश्न की हर बात पर
आज़माईशों का रंग बदला है..
गुनाहों के देवता से रफ़ाकत जता
मौजूद हालातों का गम निकला है..
क़ाइल करूँ किस शाह,सियासत पे
शहर ,दहर ,खबर में रोजगार का तुफ़ निकला है..
आज़माईशों का रंग बदला है..
गुनाहों के देवता से रफ़ाकत जता
मौजूद हालातों का गम निकला है..
क़ाइल करूँ किस शाह,सियासत पे
शहर ,दहर ,खबर में रोजगार का तुफ़ निकला है..
गश खा रहा है बागबां भी
परस्तिशों के मौसम में
नुमाइशों का भी दम निकला है
पशेमान है नारास्ती भी..
काविशों के दौर में
हर शय में अब
साजिशों का भी ख़म चला है...
©पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️
©पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️
- नारास्ती= कपटता, बेईमानी,
- परस्तिश= पूजा, अराधना,काविश -प्रयत्न,
- पशेमान= लज्जित
- तुफ़: .श्राप,बरबाद curse, शहर-ए-शिकस्ता ..तुटा हुआ शहर, काइल ः सहमती agree
वाह ! क्या कहने हैं ! चंद पंक्तियों में बहुत कुछ ! लाजवाब प्रस्तुति ! बहुत खूब आदरणीया ।
ReplyDeleteआपका सकारात्मक विचार स्वागतयोग्य है. टिप्पणी के लिये आभार.
Deleteबहुत ही सुन्दर रचना है आदरणीय पम्मी जी --------
ReplyDeleteवाह....
ReplyDeleteपशेमान है नारास्ती भी..
काविशों के दौर में
हर शय में
साजिशों का भी ख़म चला है...
उम्दा पंक्तियां
आदर सहित
आपका सकारात्मक विचार स्वागतयोग्य है. टिप्पणी के लिये आभार.
Deleteबहुत खूब ... शाजिशों का ख़म चला है ... लाजवाब नज़म है ...
ReplyDeleteआपका सकारात्मक विचार स्वागतयोग्य है. टिप्पणी के लिये आभार.
Deleteबहुत बढ़िया! साथ में उर्दू शब्दों का अर्थ भी लिख दें तो सहूलियत होगी समझने में. सादर .
ReplyDeleteसुझावनुसार उर्दू शब्दों का अर्थ..
Deleteधन्यवाद।
जी,आभार लेखन को समय दिया,परखी नजरों से निखारा..
Deleteवाह !
ReplyDeleteआदरणीया पम्मी जी बहुत ख़ूब !
चंद अल्फ़ाज़ ने कह दी सारी बात।
आपसे अनुरोध है नए शब्दों के अर्थ भी लिख दिया कीजिये ताकि अधिक से अधिक पाठक रचना का मर्म आसानी से समझ सकें।
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए आपको बधाई एवं शुभकामनाऐं।
उर्दू शब्दों का अर्थ
Deleteधन्यवाद
जी,आभार लेखन को समय दिया,परखी नजरों से निखारा..
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete"तीन अलग-अलग मिजाज की पंक्तियों से सजी सुन्दर नज़्म। " आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/10/37.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी,धन्यवाद..
Deleteपम्मी जी आपकी रचना अलग अंदाज़ में लिखी जाती है और सदैव बहुत लुभाती है।सुंदर रचना।
ReplyDeleteजी,शुक्रिया..
Deleteआदरणीया पम्मी जी प्रणाम आपकी कृति की समीक्षा करना सूरज को दिया दिखाना होता है किन्तु एक बात कहूँगा ,बेजोड़ पंक्तियाँ! चंद शब्द ही बहुत कुछ कह जाती हैं आपकी
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया..
Deleteमर्म समझने के लिए आभार आपका
आप जैसे स्नेहीजन और उत्साहवर्धन करने वाले सुधिजन ना होते तो शायद रचनात्मकता थम सी जाए..
सूरज को दिया... थोडा ज्यादा है..
लाजवाब नज़म है पम्मी जी
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Deleteजी,धन्यवाद।
बहुत खूबसूरत रचना .
ReplyDeleteजी,धन्यवाद।
Deleteबहुत सुंदर
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