Sep 26, 2017

जश्न की हर बात ..






अभी-अभी शहर का मौसम बदला है
जश्न की हर बात पर 
आज़माईशों का रंग बदला है..

गुनाहों के देवता से रफ़ाकत जता
मौजूद हालातों का गम निकला है..

क़ाइल करूँ किस शाह,सियासत पे

  शहर ,दहर ,खबर में रोजगार का तुफ़ निकला है..


गश खा रहा है बागबां भी
परस्तिशों के मौसम में
नुमाइशों का भी दम निकला है

पशेमान है नारास्ती भी..
काविशों के दौर में
हर शय  में अब
साजिशों का भी ख़म चला है...
                                      ©पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️


  • नारास्ती= कपटता, बेईमानी, 
  • परस्तिश= पूजा, अराधना,काविश -प्रयत्न,
  • पशेमान=  लज्जित
  • तुफ़: .श्राप,बरबाद curse,  शहर-ए-शिकस्ता   ..तुटा हुआ शहर, काइल ः सहमती agree

25 comments:

  1. वाह ! क्या कहने हैं ! चंद पंक्तियों में बहुत कुछ ! लाजवाब प्रस्तुति ! बहुत खूब आदरणीया ।

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    1. आपका सकारात्मक विचार स्वागतयोग्य है. टिप्पणी के लिये आभार.

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  2. बहुत ही सुन्दर रचना है आदरणीय पम्मी जी --------

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  3. वाह....
    पशेमान है नारास्ती भी..
    काविशों के दौर में
    हर शय में
    साजिशों का भी ख़म चला है...
    उम्दा पंक्तियां
    आदर सहित

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    1. आपका सकारात्मक विचार स्वागतयोग्य है. टिप्पणी के लिये आभार.

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  4. बहुत खूब ... शाजिशों का ख़म चला है ... लाजवाब नज़म है ...

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    1. आपका सकारात्मक विचार स्वागतयोग्य है. टिप्पणी के लिये आभार.

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  5. बहुत बढ़िया! साथ में उर्दू शब्दों का अर्थ भी लिख दें तो सहूलियत होगी समझने में. सादर .

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    1. सुझावनुसार उर्दू शब्दों का अर्थ..
      धन्यवाद।

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    2. जी,आभार लेखन को समय दिया,परखी नजरों से निखारा..

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  6. वाह !
    आदरणीया पम्मी जी बहुत ख़ूब !
    चंद अल्फ़ाज़ ने कह दी सारी बात।
    आपसे अनुरोध है नए शब्दों के अर्थ भी लिख दिया कीजिये ताकि अधिक से अधिक पाठक रचना का मर्म आसानी से समझ सकें।
    इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए आपको बधाई एवं शुभकामनाऐं।

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    1. उर्दू शब्दों का अर्थ
      धन्यवाद

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    2. जी,आभार लेखन को समय दिया,परखी नजरों से निखारा..

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  8. "तीन अलग-अलग मिजाज की पंक्तियों से सजी सुन्दर नज़्म। " आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/10/37.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  9. पम्मी जी आपकी रचना अलग अंदाज़ में लिखी जाती है और सदैव बहुत लुभाती है।सुंदर रचना।

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  10. आदरणीया पम्मी जी प्रणाम आपकी कृति की समीक्षा करना सूरज को दिया दिखाना होता है किन्तु एक बात कहूँगा ,बेजोड़ पंक्तियाँ! चंद शब्द ही बहुत कुछ कह जाती हैं आपकी

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया..
      मर्म समझने के लिए आभार आपका
      आप जैसे स्नेहीजन और उत्साहवर्धन करने वाले सुधिजन ना होते तो शायद रचनात्मकता थम सी जाए..
      सूरज को दिया... थोडा ज्यादा है..

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  11. लाजवाब नज़म है पम्मी जी

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  12. बहुत खूबसूरत रचना‎ .

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अनकहे का रिवाज..

 जिंदगी किताब है सो पढते ही जा रहे  पन्नों के हिसाब में गुना भाग किए जा रहे, मुमकिन नहीं इससे मुड़ना सो दो चार होकर अनकहे का रिवाज है पर कहे...