Sep 13, 2018

सायली छंद

सायली छंद



तुम्हें
ख्याल नहीं
किताबों के गुलाब
आज भी
मुस्कुराते।

🌸

तुमने
जो थामा
कोमल उँगलियों से,
मन मुदित
हुआ।

🌸

स्नेह
से संवरकर
संदल हाथों ने
घर बना
दिया।

🌸

गुजरी
तुफानो से
हालत से संभलकर,
हिदायतें लिख
दी।

🌸

बिखरे
फूल पत्तियाँ,
शीतल आस लिए
आंचल समेटे
बैठी।

🌸
©पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍

24 comments:

  1. Replies
    1. शुभेच्छा सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु आभार।

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  2. बहुत सुंदर 👌👌

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    1. शुभेच्छा सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु आभार।

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  3. बहुत ही खूबसूरत
    गागर में सागर समेट दिया आपने..
    अनुपम

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    1. शुभेच्छा सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद।

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  4. लाजवाब सायली छन्द...बहुत सुन्दर...
    वाह!!!
    सुन्दर कृति के लिए बहुत बहुत बधाई पम्मी जी !

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    1. धन्यवाद शुभेच्छा सम्पन्न हेतु प्रतिक्रिया के लिए।

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  5. वाह

    वो फूल तो अब एक अमानत की तरह खिलते ही रहेंगे

    शानदार रचना

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  6. शानदार प्रस्तुति। मेरे ब्लॉग पर भी आइये।

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    1. शुभेच्छा सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु आभार।

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  7. वाह!शानदार....
    नन्हीं कलियों से खिले हुए ख़ूबसूरत रंग-बिरंगे सयाली छन्द.
    बधाई.

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    1. शुभेच्छा सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद.

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  8. बेहतरीन रचना

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    1. जी,बहुत बहुत धन्यवाद.

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  9. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/09/87.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  10. वाह ... बहुत सुंदर पम्मी जी

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