इल्जाम तराशी न कर,
लकीरें पीटना ही
सबब बना ..
क्या देश का मेरा?
घोटाले, घटनाएं तो हर बार
फिर ये कैसी चीख पुकार..
तलाश रहे..
अब भ्रष्टाचार में शिष्टाचार,
न कर प्रश्न जम्हूरियत पर
सब है कुर्सी के आस - पास ,
हो दौर किसी का भी
रहबर -ए-कौम तो थे आप,
कर रहे है हम गुजर,
इक़्तेदार के ख़जाने में बस
थोड़ी सी कमी ही पड़ी ..,
हमी से हमारा ले कर्ज चुका देगें..
पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️
इक़्तेदार -अर्थ:पावर, कार्यालय, प्राधिकरण :
रहबर- मार्गदर्शक : जम्हूरियत-लोकतंत्र