दोहा ः सावन, शिव, महाकाल
प्रंचड रूपी शंकरा, विराजित चहुँ ओर।
अटल रूपी महेश्वरा,रंजित जग की भोर।।
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निर्गुण,निराकार,नियंता,धारे रूप विशाल।
शिव रूपी सत् सनातनी,मुदित हुए शिवशाल।।
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हलाहल कंठ में लिए, करें निज जग कल्याण।
ऊँ कारा के बोल से, करो शिवम् का ध्यान।।
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हलाहल कंठ में लिए, करें निज जग कल्याण।
ऊँ कारा के बोल से, करो शिवम् का ध्यान।।
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नमोः नमोः महेश्वरा,गूंज रहा चहुँ ओर।
श्रावणी की अराधना, महाशाल में भोर।।
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सृष्टि धारयिता रक्षिता, समाय हित समाहित।
अक्षय हेमसुता स्वामी, आदि अंत से रहित।।
श्रावणी की अराधना, महाशाल में भोर।।
सृष्टि धारयिता रक्षिता, समाय हित समाहित।
अक्षय हेमसुता स्वामी, आदि अंत से रहित।।
पम्मी सिंह ‘तृप्ति’..✍
(दिल्ली)
जय भोले..
ReplyDeleteसादर..
वाह!सुंदर 👌जय भोलेनाथ 🙏
ReplyDeleteनमन🙏🏼
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 15 जुलाई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteधन्यवाद दी.
Deleteबम बम भोले सुन्दर
ReplyDeleteसादर अभिवादन
Deleteवाह!पम्मी दी बेहतरीन ..बहुत ही सुंदर सृजन .
ReplyDeleteसादर
स्नेहिल टिप्पणी के लिए धन्यवाद।
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 16 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जी, जरूर आएंगे..
Deleteधन्यवाद।
आदरणीया मैम,
ReplyDeleteअत्यंत सुंदर शिव-प्रार्थना।
पढ़ के मन को आनंद और शांति प्राप्त हुई।
अब मैं इस स्तुति को याद कर के रोज़ ही गुनगुनाया करूँगी।
साथ ही साथ एक अनुरोध भी, मैं अपनी स्वरचित कविताएं अपने ब्लॉग काव्यतरंगिनी पर डालती हूँ। कृपया आ कर उन्हें भी पढें।
लिंक कॉपी पेस्ट नहीं कर पा रही पर यदि आप मेरे नाम पर क्लिक करें तो आपको मेरे प्रोफाइल तक ले जाएगा। वहाँ आपको मेरे ब्लॉग का नाम दिखेगा, उसपर क्लिक करियेगा, आप मेरे ब्लॉग पर पहुंच जाएंगी। एपीजे दो शब्द पेटसहन के लिए अनुग्रहित रहूँगी।
धन्यवाद।
धन्यवाद 😊
ReplyDeleteआपकी रचनाओं को जरूर पढूंगी और टिप्पणी भी दूंगी।
जय भोलेनाथ
ReplyDeleteबहुत सुंदर दोहे पम्मी जी ,
ReplyDeleteसावन शिव व भक्ति से सजी सुंदर प्रस्तुति।
विडियो भी शानदार।
बहुत अच्छे दोहे पम्मी जी , बधाई 💐
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग https://vichar-varsha.blogspot.com/?m=1
पर भी आपका स्वागत है 🙏🌺🙏
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 17 अगस्त 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteवाह...बहुत सुन्दर फोहे पम्मी जी। जय श....म्भो
ReplyDeleteहर हर महादेव बहुत सुन्दर वर्णन
ReplyDeleteमहाकाल की कृपा बनी रहे। बहुत सुंदर प्रार्थना।
ReplyDeleteॐ नमः शिवाय 🙏🙏🙏
ReplyDeleteसुंदर सृजन