चित्राधारित सृजन
मौन सी अभिव्यजंना
कागज पर बिखर रही
मुदित मन की स्पंदना
आतुर हो निखर रही
खिल रहें रंग केसरी
विहग गान नभ साजी
पुलक रहे चित चितवन
व्यंजना पर अखर रही
मौन सी अभिव्यंजना
कागज पर बिखर रही
नव नूतन भाव भ्रमित
सुर संगीत भूल रही
नव भोर की आश से
स्वर्णी तारे गुथ रही
खिल रही निलांजना
धुंध ऊर्मिमुखर रही
मौन सी अभिव्यंजना
कागज पर बिखर रही
पम्मी सिंह ‘तृप्ति’...✍️
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteकृपा मेरे ब्लॉग पे भी पधारें
जी, आभार
ReplyDeleteतृप्त करती कृति ... आभार ।
ReplyDeleteशुभेच्छा सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु हृदय से आभार।
Deleteबहुत सुन्दर रचना।
ReplyDeleteआभार।
Deleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteजी,धन्यवाद
Deleteखिल रही निलांजना
ReplyDeleteधुंध ऊर्मिमुखर रही
मौन सी अभिव्यंजना
कागज पर बिखर रही
बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति...
बहुत सुंदर दृश्यात्मकता...
🌹🙏🌹
पुनः आनंद आया यहां आकर ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर बढ़िया
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 17 अगस्त 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteवाह! बहुत सुंदर।
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