Sep 22, 2020

मौन सी अभिव्यंजना...

 चित्राधारित सृजन




 मौन सी अभिव्यजंना

कागज पर बिखर रही


मुदित मन की स्पंदना

आतुर हो निखर रही


खिल रहें रंग केसरी 

विहग गान नभ साजी


पुलक रहे चित चितवन 

व्यंजना पर अखर रही


मौन सी अभिव्यंजना

कागज पर बिखर रही


नव नूतन भाव भ्रमित 

सुर संगीत भूल रही 


नव भोर की आश से

स्वर्णी तारे गुथ रही


खिल रही निलांजना

धुंध ऊर्मिमुखर रही


मौन सी अभिव्यंजना

कागज पर बिखर रही


पम्मी सिंह ‘तृप्ति’...✍️





13 comments:

  1. बहुत सुन्दर
    कृपा मेरे ब्लॉग पे भी पधारें

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  2. तृप्त करती कृति ... आभार ।

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    1. शुभेच्छा सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु हृदय से आभार।

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  3. बहुत सुन्दर रचना।

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  4. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।

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  5. खिल रही निलांजना
    धुंध ऊर्मिमुखर रही
    मौन सी अभिव्यंजना
    कागज पर बिखर रही

    बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति...
    बहुत सुंदर दृश्यात्मकता...
    🌹🙏🌹

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  6. पुनः आनंद आया यहां आकर ।

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  7. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 17 अगस्त 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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