दोहे
१
नींबू मिर्ची टीके से, राफेल का श्रृंगार।
अंधविश्वासी माया पे ,करो अब सब विचार।।
२
बुद्धि, विवेक हुए भ्रमित, मौन रीति- रीवाज।
वैज्ञानिक हुए अचंभित, देख रीति- रीवाज।।
३
पथ- परस्त की बात नहीं, करिये इस पर गौर।
पूजा-पाठ नीज वंदन , नहीं जगत का ठौर।।
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..
४
अनर्गल प्रलाप फेर में, क्यूँ नित्य मचाएं शोर।
तर्क करें ठोस बात पर, यही अस्तित्व की डोर।।
५
आस्था धर्म न तर्क जाने, न जाने सर्व विज्ञान।
परंपरा के निर्वहन में, न खीचें दुजें .. कान।।
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍