दोहे
१
नींबू मिर्ची टीके से, राफेल का श्रृंगार।
अंधविश्वासी माया पे ,करो अब सब विचार।।
२
बुद्धि, विवेक हुए भ्रमित, मौन रीति- रीवाज।
वैज्ञानिक हुए अचंभित, देख रीति- रीवाज।।
३
पथ- परस्त की बात नहीं, करिये इस पर गौर।
पूजा-पाठ नीज वंदन , नहीं जगत का ठौर।।
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..
४
अनर्गल प्रलाप फेर में, क्यूँ नित्य मचाएं शोर।
तर्क करें ठोस बात पर, यही अस्तित्व की डोर।।
५
आस्था धर्म न तर्क जाने, न जाने सर्व विज्ञान।
परंपरा के निर्वहन में, न खीचें दुजें .. कान।।
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍
सुन्दर भाव ... गहरा कटाक्ष ...
ReplyDeleteथोडा मात्राओं का ध्यान रखें ... दोहों का शिल्प कई जगह ऑनलाइन मिल जाएगा ... सीखना मुश्किल न होगा आपके लिए ... आशा है अप अन्यथा नहीं लेंगी मेरी बात को ...
जी, धन्यवाद..
Deleteमात्रा भार एक बार और देख ले।
समीक्षा के लिए आभार।
बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति
ReplyDeleteधन्यवाद।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 30 दिसम्बर 2019 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी,धन्यवाद।
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