लीजिए 21 वी सदी के बाईसवें साल में हमारे मुस्कराने की वजह ये ही बनी..
"शब्द है वहीं जानी पहचानी सी जरूर कुछ बात है,
शहरियत है,तर्बियत भी मानी सी जरूर कुछ बात है।"
पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️
GLOBAL RESEARCH JOURNAL
(peer-reviewed (refereed) journal)
ग्लोबल रिसर्च कैनवास
(द्विभाषी त्रैमासिक शोध पत्रिका ) में प्रकाशित हमारी भी
शब्द-
निधि पेज न०8-10 ...विषयक - ,'देश की स्वाधीनता का वर्तमान स्वरूप'
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बधाई आलेख के लिए ...
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