सांस लेने की रिवायतें निभा रहें बहुत
आईने की भी शिकायतें जता रहें बहुत
याद ही नहीं रहा कब साये सिमट गई
कनी भर इश्क,मन भर आँसू से छतें बना रहें बहुत
ख़्वाहिशों की नुमू कब ठहरतीं है
आइनों को बगावतें सिखा रहें बहुत
सदाएँ मेरी फ़लक से टकराती रही
मश्क कर अब निस्बतें बढा रहें बहुत
रख कर ताखे पर किस्मत की पोटली
मह की शोख शरारतें चुरा रहें बहुत
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️
नुमू...बढनाgrowth मश्क..अभ्यास,निस्बतें..संबंध
रख कर ताखे पर किस्मत की पोटली
ReplyDeleteमह की शोख शरारतें चुरा रहें बहुत.....वह!! वाह!!! बहुत उम्दा और बेहतरीन।
अरे वाह दी बहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteसादर।
शुभेच्छा संपन्न प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत खूब ... अच्छे शेर हैं ... अपनी बात को बाखूबी रखते हुये ...
ReplyDeleteनव वर्ष मंगल मय हो ...
शुभेच्छा संपन्न प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार ८ जनवरी २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
धन्यवाद श्वेता जी।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना
ReplyDeleteशुभेच्छा संम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु आभार।
ReplyDeleteबढ़िया शेरों से सजी सार्थक प्रस्तुति। आपको ढेर सारी शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteशुभेच्छा संपन्न प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद।
Deleteख़्वाहिशों की नुमू कब ठहरतीं है
ReplyDeleteआइनों को बगावतें सिखा रहें बहुत
बढ़िया शेरों से सजी प्रस्तुति....
शुभेच्छा संपन्न प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 17 जनवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआभार।
Deleteपर ये खुल ही नहीं रहा।
वाह
ReplyDeleteआभार।
Deleteसुन्दर सृजन।
ReplyDeleteजी,धन्यवाद।
Deleteसुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteख़्वाहिशों की नुमू कब ठहरतीं है
ReplyDeleteआइनों को बगावतें सिखा रहें बहुत
वाह बेहतरीन 👌👌
शुभेच्छा संपन्न प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद।
ReplyDeleteकनी भर इश्क़, मन भर आंसू । यही हक़ीक़त इश्क़ की है, यही क़ायनात की, यही ज़िन्दगी की । बहुत अच्छी रचना ।
ReplyDeleteआभार।
Deleteबहुत ही सुंदर सृजन।
ReplyDeleteशुक्रिया
Deletewha बढ़िया
ReplyDeleteसादर।
Deleteवाह ! क्या बात है । उम्दा , बेहतरीन ... बहुत बढ़िया ।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया।
Deleteयाद ही नहीं रहा कब साये सिमट गई//
ReplyDeleteकनी भर इश्क,मन भर आँसू से छतें बना रहें बहुत////////
मन भर आँसू और कनी भर ईश्क, यही अंजाम है मन के रिश्तों का। सुंदर रचना प्रिय पम्मी जी।
हौसला बढाती हुई प्रतिक्रिया.. बहुत अच्छा लगा।
Deleteधन्यवाद।
लाजवाब, बहुत ही खूबसूरत लिखा है, बधाई हो
ReplyDeleteब्लॉग पर आने और प्रतिक्रिया हेतु हृदयतल से आभार।
Deleteहर शेर शानदार,किसकी तारीफ़ करूं ।
ReplyDeleteसोचती हूं,अपने ही ख्यालातों में कुछ हेर फेर करूं ।। बहुत सुंदर गज़ल ।
जी, आप पढ़ ली..चंद हौसलाअफजाई शब्दों से शे'र सच में मुक्कमल हो गया।
ReplyDeleteसादर