Dec 30, 2020

कनी भर इश्क,मन भर आँसू...



 सांस लेने की रिवायतें निभा रहें बहुत

आईने की भी शिकायतें जता रहें बहुत


याद ही नहीं रहा कब साये सिमट गई

कनी भर इश्क,मन भर आँसू से छतें बना रहें बहुत


ख़्वाहिशों की नुमू कब ठहरतीं है

आइनों को बगावतें सिखा रहें बहुत


सदाएँ मेरी फ़लक से टकराती रही

मश्क कर अब निस्बतें बढा रहें बहुत


रख कर ताखे पर किस्मत की पोटली

मह की शोख शरारतें चुरा रहें बहुत

पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️




नुमू...बढनाgrowth मश्क..अभ्यास,निस्बतें..संबंध

36 comments:

  1. रख कर ताखे पर किस्मत की पोटली

    मह की शोख शरारतें चुरा रहें बहुत.....वह!! वाह!!! बहुत उम्दा और बेहतरीन।

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  2. अरे वाह दी बहुत सुंदर सृजन।
    सादर।

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  3. शुभेच्छा संपन्न प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद।

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  4. बहुत खूब ... अच्छे शेर हैं ... अपनी बात को बाखूबी रखते हुये ...
    नव वर्ष मंगल मय हो ...

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    1. शुभेच्छा संपन्न प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद।

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  5. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ८ जनवरी २०२१ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  6. धन्यवाद श्वेता जी।

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  7. बहुत बढ़िया रचना

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  8. शुभेच्छा संम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु आभार।

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  9. बढ़िया शेरों से सजी सार्थक प्रस्तुति। आपको ढेर सारी शुभकामनाएँ।

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    1. शुभेच्छा संपन्न प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद।

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  10. ख़्वाहिशों की नुमू कब ठहरतीं है
    आइनों को बगावतें सिखा रहें बहुत

    बढ़िया शेरों से सजी प्रस्तुति....

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    1. शुभेच्छा संपन्न प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद

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  11. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन  में" आज रविवार 17 जनवरी 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. आभार।
      पर ये खुल ही नहीं रहा।

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  12. सुन्दर प्रस्तुति.

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  13. ख़्वाहिशों की नुमू कब ठहरतीं है

    आइनों को बगावतें सिखा रहें बहुत


    वाह बेहतरीन 👌👌

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  14. शुभेच्छा संपन्न प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद।

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  15. कनी भर इश्क़, मन भर आंसू । यही हक़ीक़त इश्क़ की है, यही क़ायनात की, यही ज़िन्दगी की । बहुत अच्छी रचना ।

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  16. बहुत ही सुंदर सृजन।

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  17. वाह ! क्या बात है । उम्दा , बेहतरीन ... बहुत बढ़िया ।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया।

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  18. याद ही नहीं रहा कब साये सिमट गई//
    कनी भर इश्क,मन भर आँसू से छतें बना रहें बहुत////////
    मन भर आँसू और कनी भर ईश्क, यही अंजाम है मन के रिश्तों का। सुंदर रचना प्रिय पम्मी जी।

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    1. हौसला बढाती हुई प्रतिक्रिया.. बहुत अच्छा लगा।
      धन्यवाद।

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  19. लाजवाब, बहुत ही खूबसूरत लिखा है, बधाई हो

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    1. ब्लॉग पर आने और प्रतिक्रिया हेतु हृदयतल से आभार।

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  20. हर शेर शानदार,किसकी तारीफ़ करूं ।
    सोचती हूं,अपने ही ख्यालातों में कुछ हेर फेर करूं ।। बहुत सुंदर गज़ल ।

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  21. जी, आप पढ़ ली..चंद हौसलाअफजाई शब्दों से शे'र सच में मुक्कमल हो गया।
    सादर

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