अनभिज्ञ हूँ काल से सम्बन्धित सारर्गभित बातों से , शिराज़ा है अंतस भावों और अहसासों का, कुछ ख्यालों और कल्पनाओं से राब्ता बनाए रखती हूँ जिसे शब्दों द्वारा काव्य रुप में ढालने की कोशिश....
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Women's rights
Grihshobha is the only woman's magazine with a pan-India presence covering all the topics..गृहशोभा(अप्रैल द्वितीय) ( article on women...
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तुम चुप थीं उस दिन.. पर वो आँखों में क्या था...? जो तनहा, नहीं सरगोशियाँ थीं, कई मंजरो की, तमाम गुजरे, पलों के...
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कहने को तो ये जीवन कितना सादा है, कितना सहज, कितना खूबसूरत असबाब और हम न जाने किन चीजों में उलझे रहते है. हाल चाल जानने के लिए किसी ने पू...
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फितूर है..ये, कई दफा सोचती हूँ.. बड़ा अच्छा होता जो 'मैं' तुम्हारे किरदार में होती.. मैं तुम होती और मेरी जगह त...
ये आशाओं के दीप ही दूर तक जाते हैं आशा प्रजव्लित रखते हैं मन में ...
ReplyDeleteभावपूर्ण ...
आभार।
Deleteये दीप प्रज्वलन सिर्फ़ दिये की बातीं ही नहीं
ReplyDeleteएक संकल्प संग उम्मीद की अलख जगाई है।...दीये की ज्योति के दिव्य दर्शन को दीपदीपाती प्रेरक पंक्तियाँ। विलक्षण विचार। आभार और बधाई।
Great readd
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