रंग रंगीला साजना, करें बहुत धमाल।
फगुआ गाय घड़ी- घड़ी,करके मुखड़ा लाल।।
करके मुखड़ा लाल, मरोड़ी मेरी कलाई।
कोमल सी नार मैं, छेड़ों न मेरी सलाई।
भीगी तृप्ति सोच रही, क्यूँ शिव बूटी माजना।
सांवली सूरत में , रंग रंगीला साजना।।
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍
मुक्तक
हर रंग सार लूँ इस होली में
खुशरंग उतार लूँ इस होली में
सन्नाटों के महफिल गंवारा नहीं-
एक फाग गा लूँ इस होली में।
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना गुरूवार १२ मार्च २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
आभार
Deleteहर रंग सार लूँ इस होली में
ReplyDeleteखुशरंग उतार लूँ इस होली में
सन्नाटों के महफिल गंवारा नहीं-
एक फाग गा लूँ इस होली में।
बहुत ही सुन्दर मुक्तक। आपने तो होली को रगमय व ऊर्जावान बना दिया इन शब्दों से।
बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ आदरणीया पम्मी जी।
.... क्यूँ शिव बूटी माँजना....
ReplyDeleteबिल्कुल सही। बहुत सुंदर भाव और अद्भुत अभिसार श्रृंगार। बधाई और आभार।
शुभेच्छा संपन्न शब्दावली के लिए हृदय से आभार।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (13-03-2020) को भाईचारा (चर्चा अंक - 3639) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
*****
आँचल पाण्डेय
वाह
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
नई पोस्ट - कविता २
बहुत सुंदर सृजन , सादर नमन
ReplyDeleteशुभेच्छा संपन्न प्रतिक्रिया हेतु आभार।
Deleteबहुत सुन्दर पोस्ट |हार्दिक आभार
ReplyDeleteशुभेच्छा संपन्न प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद।
Deleteवाह ... रंगों के इस उत्सव को बख़ूबी कुंडलियों में उतारा है ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर ...
जी,धन्यवाद
Deleteअगर शाख रही तो,
ReplyDeleteपते और फुल भी आयेंगे। आज दिन बुरे हैं तो,
कल अच्छे भी आयेंगे ।
बस आप घर मे रहे, कोरोना से बचे।
और
ओरो को भी बचाए।
पुलिस और प्रशासन का सहयोग करे ।
🇮🇳🙏आपका दिन मंगलमय हो
सुगना फाउण्डेशन परिवार और राजपुरोहित समाज इंडिया टीम
आभार
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteआभार
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