Mar 9, 2020

रंगोत्सव..



कुंडलियां

रंग रंगीला साजना, करें बहुत धमाल।
फगुआ गाय घड़ी- घड़ी,करके मुखड़ा लाल।
करके मुखड़ा लाल, मरोड़ी मेरी कलाई।
कोमल सी नार मैं, छेड़ों न मेरी सलाई।
भीगी तृप्ति सोच रही, क्यूँ शिव बूटी माजना।
सांवली सूरत में , रंग रंगीला साजना।।
 पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍





मुक्तक
हर रंग सार लूँ इस होली में
खुशरंग उतार लूँ इस होली में
सन्नाटों के महफिल गंवारा नहीं-
एक फाग गा लूँ इस होली में।
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍







17 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना गुरूवार १२ मार्च २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  2. हर रंग सार लूँ इस होली में
    खुशरंग उतार लूँ इस होली में
    सन्नाटों के महफिल गंवारा नहीं-
    एक फाग गा लूँ इस होली में।
    बहुत ही सुन्दर मुक्तक। आपने तो होली को रगमय व ऊर्जावान बना दिया इन शब्दों से।
    बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ आदरणीया पम्मी जी।

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  3. .... क्यूँ शिव बूटी माँजना....
    बिल्कुल सही। बहुत सुंदर भाव और अद्भुत अभिसार श्रृंगार। बधाई और आभार।

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    1. शुभेच्छा संपन्न शब्दावली के लिए हृदय से आभार।

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (13-03-2020) को भाईचारा (चर्चा अंक - 3639) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    *****
    आँचल पाण्डेय

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  5. वाह
    बहुत सुंदर।
    नई पोस्ट - कविता २

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  6. बहुत सुंदर सृजन , सादर नमन

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    1. शुभेच्छा संपन्न प्रतिक्रिया हेतु आभार।

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  7. बहुत सुन्दर पोस्ट |हार्दिक आभार

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    1. शुभेच्छा संपन्न प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद।

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  8. वाह ... रंगों के इस उत्सव को बख़ूबी कुंडलियों में उतारा है ...
    बहुत सुंदर ...

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  9. अगर शाख रही तो,
    पते और फुल भी आयेंगे। आज दिन बुरे हैं तो,
    कल अच्छे भी आयेंगे ।
    बस आप घर मे रहे, कोरोना से बचे।
    और
    ओरो को भी बचाए।
    पुलिस और प्रशासन का सहयोग करे ।
    🇮🇳🙏आपका दिन मंगलमय हो
    सुगना फाउण्डेशन परिवार और राजपुरोहित समाज इंडिया टीम

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