शउर बता रहा वरस...
शउर बता कर गुज़रता अबके वरस
रिश्तों के गिरहें को सुलझाता अबके वरस
मेरी उम्र की तरुणाई को ले चला ये
कुछ जिंदगी में विश्वास जताता अबके वरस
टूट कर जिंदगी तो जी ही नहीं जाती
गिरकर संभलने को सौगात बताता अबके वरस
न जी भर के हँसें , न जी भर रो सकें
भूलें बिसरे बातों पे यकीं दिलाता अबके बरस
रीता अंतस भी, भीगी भाव बहकी - बहकी
इक कसक दे,धनक दिखाता अबके वरस
पम्मी सिंह 'तृप्ति'
दिल्ली
बहुत सुंदर रचना, नववर्ष मुबारक हो
ReplyDeleteसुंदर रचना
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteबेहतरीन
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