Oct 7, 2022

इक कसक रह गई...


 

💐💐💐

जाते जाते इक कसक रह गई

 मैं पहुंची पर आप सो गई,

तंग हो गई है दामन की दुआएँ आजकल,

पर,जिंदगी की इम्तिहान बड़ी हो गई।

पम्मी सिंह 'तृप्ति'

💐💐💐

सब बोलते हैं तुम तो उषा की भोर हो,

भीगी हुई शाम हो चली हो,वही शोर हो।


इक साड़ी और बाली अब भी पास- पास है,

उनमें समायी खुशबू,वो शीरीं बहुत खास है।


अधिकतर धुंधली सी तस्वीरे उभर आती हैं,

और,मेरे तआरुफ़ की ख़ैर ओ ख़बर आती हैं।


राख कुरेद कर हासिल कुछ नहीं होता,

मेरी रौनकें,कहकशां के रास्ते इधर आती है।


सलीके से गर दिल की बात कहें तो,

शहर के भीड़ में भी तन्हाई की ख़बर आती है।

पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️

5 comments:

  1. वाह बेहतरीन ये शब्द नही बस दिल के भाव है,ज्यों के त्यों बिखर गए हैं।

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  2. राख कुरेद कर हासिल कुछ नहीं होता,
    मेरी रौनकें,कहकशां के रास्ते इधर आती है।

    सलीके से गर दिल की बात कहें तो,
    शहर के भीड़ में भी तन्हाई की ख़बर आती है।

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  3. दीपावली की शुभकामनाएं। सुन्दर प्रस्तुति व अनुपम रचना।

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  4. बहुत सुंदर। बहुत खूब। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ। सादर।

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