Jul 17, 2022

धागे समेट लूँ..

 



ग़ज़ल

 आँखों से महव ए ख्वाब, भुलाया न जाएगा,

 अश्कों को रोज- रोज, मिटाया न जाएगा।

 

 हर पल लगें कुछ छूट रहा स्याह ख्वाब से,

  दिल में अब शाद ख्याल, सजाया न जाएगा।

  

  दौरे सफर में आज, कल की कुछ खबर नहीं,

  बेकार की उम्मीद अब' निभाया न जाएगा।

भीगे हुए पल ओढ कर, धागे समेट लूँ,

जाते लम्हों  को यूँ अब गवाया न जाएगा।


औरों की क्या हम बात करें क्यूँ, गुम खुद हुये

हर बात के  किस्से अब, लिखाया न जाएगा।

पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️

स०स०११७२७/२०२१

13 comments:

  1. वाह..... बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद।

      Delete
  2. दौरे सफर में आज, कल की कुछ खबर नहीं,
    बेकार की उम्मीद अब' निभाया न जाएगा।
    भीगे हुए पल ओढ कर, धागे समेट लूँ,
    जाते लम्हों को यूँ अब गवाया न जाएगा।
    .. बहुत खूब!

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुभेच्छा संपन्न प्रतिक्रिया हेतु आभार।

      Delete
  3. वाह, बहुत सुंदर ग़ज़ल
    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया।

      Delete
  4. बहुत खूब। बहुत बढ़िया। बार-बार पढ़ने लायक ग़ज़ल। आपको ढेरों शुभकामनायें। सादर।

    ReplyDelete
    Replies
    1. उत्साह पूर्ण प्रतिक्रिया पा बहुत खुशी हुई।

      Delete
  5. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल. हार्दिक शुभकामनायें

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुभेच्छा संपन्न प्रतिक्रिया हेतु आभार।

      Delete

कैसी अहमक़ हूँ

  कहने को तो ये जीवन कितना सादा है, कितना सहज, कितना खूबसूरत असबाब और हम न जाने किन चीजों में उलझे रहते है. हाल चाल जानने के लिए किसी ने पू...