Apr 29, 2022

तवील राहों के किस्से..

 







होती है इन रिश्तों से किरदारों की बारिशें

कि इक मैं हूँ इक तुम हो... हमारी... तवील राहों के  किस्से।


इक मैं हूँ.

भरू रंग कौन सा आँगन में...पिया बोल दे

भीगू आज मैं किस सावन में...पिया बोल दे

होगी जन्म-जन्मांतर की बातें... फिर कभी,

आज भरूँ मांग किस दर्पण से... पिया बोल दे।


इक तुम हो..

लाऊँ वो लफ्ज़ कहाँ से जो सिर्फ तुझें सुनाई दें,

सजाऊँ वो चाँद कहाँ पर जो सिर्फ तुझें दिखाई दें,

बताएँ क्या इन रिश्तों के तासीर का आलम तुम्हें, 

बुनू वो आसमां कहाँ पर जो सिर्फ तुझें नुमाई दें।

पम्मी सिंह 'तृप्ति'

16 comments:

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    1. शुभेच्छा संपन्न प्रतिक्रिया हेतु आभार।

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  2. सुन्दर भावपूर्ण सृजन

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  3. शुभेच्छा संपन्न प्रतिक्रिया हेतु आभार।

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  4. हृदय को छूने वाला उत्कृष्ट भावपूर्ण सृजन। बार-बार पढ़ने योग्य रचना के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनायें!

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    1. शुभेच्छा संपन्न प्रतिक्रिया हेतु आभार।

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  5. 'एक मैं और एक तुम' जब एक होकर रहे तो फिर न किसी रंग की और नहीं आसमाँ की जरुरत नहीं महसूस होती है। बिना बोले ही सब सुनाई व बिना देखे ही सबकुछ दिखाई देना लगता है
    बहुत सुन्दर दो दिलों के लम्बी अलग धड़कनों को एक करने की कवायद

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    1. शुभेच्छा संपन्न प्रतिक्रिया हेतु आभार।

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  6. दिल की गहराइयों से निकला संवाद ... कशिश जो खींच लाती है साथ ...
    क्या ज़रूरी है फिर कुछ भी ...

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  7. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ! अति सुन्दर सृजन ।

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  8. होगी जन्म-जन्मांतर की बातें... फिर कभी,

    आज भरूँ मांग किस दर्पण से... पिया बोल
    प्रेम की पराकाष्ठा...
    बहुत ही लाजवाब
    वाह!!!

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  9. बहुत सुंदर भावों से युक्त सराहनीय रचना ।

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  10. सुंदर रचना..
    सादर...

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  11. सिर्फ पहुँचें मेरी हर बात बस तुम तक .....
    बेहतरीन नज़्म

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  12. वाह ! बहुत ही सुन्दर हृदय स्पर्शी सृजन पम्मी जी,🙏

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  13. वाह! बहुत ही सुंदर सृजन।
    सादर

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