Jan 13, 2022

टप्पे/माहिया



टप्पे/माहिया

(नवा वर्ष, ठंड,मकर संक्रांति, लौहड़ी)


जरा शॉल तो ओढ माहिया ( २)

नवा साल है जरूर

इत उत न डोल माहिया


हट जा परे सोनिये (२)

छोड़ जरा.. घड़ी दो घड़ी

नवा साल मनाना है।


तू तो उड़ती पतंगा है (२)

शोलों की है यहाँ झरी

आज तो मन मलंगा है।


आसमां की तरफ देखो ( २)

मौसमों की ताबों में

आस्ताँ  न भुलाया करों


तू बड़ा ही सयाना है २

भूलों गम घड़ी- दो -घड़ी

दो पल का जमाना है।

पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️




5 comments:

  1. बहुत सुन्दर, रोचक माहिया सृजन 👌🌹

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  2. वाह ... बहुत सुन्दर और रोचक माहिए ...
    मज़ा आ गया ...

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  3. लाजवाब माहिए
    वाह!!!

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लेखकीय रूप

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