लफ्जों संग वो साहब- नाज़ तुम्हारा है,
इल्जाम लगाकर यूँ जख्मों को सजाए क्यूँ
चलों धूप हमारी है, सरताज तुम्हारा है,
अब कौन यहाँ जज़्बातों की फ़िक्र करता है
हर बार कसम दे अपनी, मि'जाज तुम्हारा है,
हर बार कसम दे अपनी, मि'जाज तुम्हारा है,
रस्मों में यूँ रुस्वा न करों मुझको
फूलों से' भरा आँगन, औ ताज तुम्हारा है,
ये वक्त नुमायाँ है या शामिल तकदीरें
अब कैद रिहाई की रस्में',अंदाज तुम्हारा है...#तृप्ति
अब कैद रिहाई की रस्में',अंदाज तुम्हारा है...#तृप्ति
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️
साहब नाज.. companion of grace.
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सुंदर, सार्थक रचना !........
ReplyDeleteब्लॉग पर आपका स्वागत है।
तहेदिल से शुक्रिया।
Deleteबढ़िया रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
Deleteबहुत सुन्दर सृजन
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया।
Deleteअब कौन यहाँ जज़्बातों की फ़िक्र करता है
ReplyDeleteहर बार कसम दे अपनी, मि'जाज तुम्हारा है,
भावनाओं से ओतप्रोत बहुत ही प्यारी रचना आदरणीय दी
प्रोत्साहित करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार।
Deleteबहुत सुंदर! उम्दा सृजन पम्मी जी हर शेर गहन , बेहतरीन।
ReplyDeleteप्रोत्साहित करते टिप्पणियों के लिए आपका बहुत बहुत आभार
ReplyDeleteहर शेर में एक कथा और व्यथा साथ लिए गहन कोमल भावनाओं को अभिव्यक्त करती रचना प्रिय पम्मी जी। हार्दिक शुभकामनाएं आपके लिए 🙏🌷🌷❤️🌷
ReplyDeleteशुभेच्छा सम्पन्न प्रोत्साहित टिप्पणी हेतु आभार।
Deleteसभी सुन्दर शेर
ReplyDeleteशुभेच्छा सम्पन्न प्रोत्साहित टिप्पणी हेतु आभार आ०।
Deleteहर शेर लाजवाब । नायाब गजल ।
ReplyDeleteशुभेच्छा सम्पन्न प्रोत्साहित टिप्पणी हेतु आभार आ०।
ReplyDeleteवाह.. लाज़वाब शेरों वाली ग़ज़ल। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteशुभेच्छा संपन्न प्रतिक्रिया हेतु आभार।
Deleteशानदार।हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteजी,धन्यवाद।
Deleteसुन्दर अति सुन्दर, हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।, एक राय मेरी रचना पर भी
ReplyDeleteआभार।
Deleteबहुत खूबसूरत शेरोन से सजी गजल ...
ReplyDeleteप्रेम की खुशबू बिखेरती ...
शुभेच्छा संपन्न प्रतिक्रिया हेतु आभार।
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण गजल...
एक से बढ़कर एक शेर।