Jan 28, 2019

मुक्त नज़्म







साहित्यिक पत्रिका "अर्य संदेश " विगत १० वर्षो से  
साहित्यिक क्षेत्र में नित्य  सलग्न हैं..
मेरी प्रकाशित रचना..

मुक्त नज्म

शाह सियासत उसूलों पर भी रंग बदलती है
निस्बत पत्थरों से रहमत का न तकाज़ा रखों,


निजाम- ए- शाह की जो बढ़ी बदकारियां
मुल्क के हालात पर आँखें खुली रखों,

सियासत गर वहशत, नफ़रत पर मुस्कराने लगे
आँखों में सवाल के संग मुठ्ठी ताने रखों,

दहकानों को मयस्सर नहीं दो जून के निवाले
इरादों  में ईमान, आँखों में पानी रखों,

सिलसिला शह और मात पर जारी रहेगी
मुन्सिफ़ के कशीदाकारी पर मुख्तारी रखों।
                             ©पम्मी सिंह'तृप्ति..



18 comments:

  1. सिलसिला शह और मात पर जारी रहेगी
    मुन्सिफ़ के कशीदाकारी पर मुख्तारी रखों।.... सुभान अल्लाह!

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  2. सच है सियासत जब नफ़रत का साथ दे रो मुट्ठियाँ चला भी देनी चाबियों ...
    अलग अन्दाज़ के लाजवाब शेर हैं सभी बधाई ...

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  3. सिलसिला शह और मात पर जारी रहेगी
    मुन्सिफ़ के कशीदाकारी पर मुख्तारी रखों।...बहुत ख़ूब

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  4. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2019/02/107.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  5. वाह्ह्ह.. बहुत सुंदर लाज़वाब...👍👍

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  6. सियासत गर वहशत, नफ़रत पर मुस्कराने लगे
    आँखों में सवाल के संग मुठ्ठी ताने रखों,
    बहुत खूब.... बेहतरीन.. रचना, सादर स्नेह

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  7. वाह पम्मी जी गजब सी मुख्तार संभला दी ।
    बेहद उम्दा बेहतरीन अस्आर हर शेर गहराई समेटे शानदार।

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  8. सियासत गर वहशत, नफ़रत पर मुस्कराने लगे
    आँखों में सवाल के संग मुठ्ठी ताने रखों,
    .......बहुत खूब

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