Nov 18, 2018

माहिया




माहिया 
1
रंग की धारा गुनती
पिया की आश में
भावों के रंग बुनती।

2
 सपनें कई निहारें
 टोह रही गोरी
संदली पांव उतारें

3
हसरतों में भीगते
नम होती आँखें
मुंतज़िर शाद वफा के।
4
दर्पण  हसरतों की
कई बातों की
इंतजार वस्ल की।
                                  पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍

24 comments:

  1. वाह बहुत सुन्दर पम्मी जी थोड़े शब्द गहन अर्थ।

    ReplyDelete
  2. बहुत ही सुन्दर 👌

    रंग की धारा गुनती.....


    ReplyDelete
  3. वाह! भीगते जज्बातों की खास बात!!! बहुत खूब!!!

    ReplyDelete
  4. सभी माहिया कमाल के हैं ...
    लाजवाब

    ReplyDelete
    Replies
    1. प्रतिक्रिया हेतु आभार..

      Delete
  5. बहुत खूब
    सादर

    ReplyDelete
  6. सभी बंध बेहल लाज़वाब है..वाहहह पम्मी जी..बहुत सुंदर माहिया...बधाई आपको👌👌

    ReplyDelete
  7. प्रतिक्रिया हेतु आभार..

    ReplyDelete
  8. दिलकश माहिया --प्रिय पम्मी जी | सस्नेह शुभकामनाये |

    ReplyDelete
  9. बहुत सुन्दर गहन अर्थ लिए लाजवाब माहिया
    वाह!!!

    ReplyDelete
  10. वस्ल का इंतज़ार ...
    बहुत खूब ... कमाल के हाइकू हैं ...

    ReplyDelete

Women's rights

 Grihshobha is the only woman's magazine with a pan-India presence covering all the topics..गृहशोभा(अप्रैल द्वितीय)  ( article on women...