अनभिज्ञ हूँ काल से सम्बन्धित सारर्गभित बातों से , शिराज़ा है अंतस भावों और अहसासों का, कुछ ख्यालों और कल्पनाओं से राब्ता बनाए रखती हूँ जिसे शब्दों द्वारा काव्य रुप में ढालने की कोशिश....
Nov 18, 2018
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अनकहे का रिवाज..
जिंदगी किताब है सो पढते ही जा रहे पन्नों के हिसाब में गुना भाग किए जा रहे, मुमकिन नहीं इससे मुड़ना सो दो चार होकर अनकहे का रिवाज है पर कहे...
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पापा .. यूँ तो जहां में फ़रिश्तों की फ़ेहरिस्त है बड़ी , आपकी सरपरस्ती में संवर कर ही ख्वाहिशों को जमीं देती रही मग...
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हर तरह से खैरियत है ,होनी भी चाहिए, गर, जेठ की दोपहरी में कुछ खास मिल जायें, तो फिर क्या बात है..!! पर.... कहॉं आसान होता है, शब्दों में ब...
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ख्वाबों की जमीन तलाशती रही अर्श पे दर्ज एहकाम की त लाश में कितनी रातें तमाम हुई इंतजार, इजहार, गुलाब, ख्वाब, वफा, नशा उसे पा...
वाह बहुत सुन्दर पम्मी जी थोड़े शब्द गहन अर्थ।
ReplyDeleteजी,शुक्रिया।
Deleteवाह
ReplyDeleteआभार
Deleteबहुत ही सुन्दर 👌
ReplyDeleteरंग की धारा गुनती.....
जी,धन्यवाद
Deleteबहुत ही सुन्दर 👌
ReplyDeleteआभार।
Deleteवाह! भीगते जज्बातों की खास बात!!! बहुत खूब!!!
ReplyDeleteजी,शुक्रिया..
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteसभी माहिया कमाल के हैं ...
ReplyDeleteलाजवाब
प्रतिक्रिया हेतु आभार..
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteसादर
आभार।
Deleteसभी बंध बेहल लाज़वाब है..वाहहह पम्मी जी..बहुत सुंदर माहिया...बधाई आपको👌👌
ReplyDeleteजी,धन्यवाद।
ReplyDeleteजी,धन्यवाद
ReplyDeleteप्रतिक्रिया हेतु आभार..
ReplyDeleteदिलकश माहिया --प्रिय पम्मी जी | सस्नेह शुभकामनाये |
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteबहुत सुन्दर गहन अर्थ लिए लाजवाब माहिया
ReplyDeleteवाह!!!
गागर में सागर
ReplyDeleteवस्ल का इंतज़ार ...
ReplyDeleteबहुत खूब ... कमाल के हाइकू हैं ...