नहीं दिखती वो राहेंजिन्हें
दिखाया किसी और ने..
था
तो, वो एक इशारा,
कुछ
लंबी, थोड़ी छोटी, कुछ आड़ी, थोड़ी तिरछी या थी बंद...
बनेगी
अपनी बातें...
जब
उन राहों पर चल पड़ेगें हमारे कदम...
©पम्मी सिंह
कदम जब उठाये जाए ... तो राहें बन ही जाती हैं ... ऐसे ही बातें भी बन जाती हैं प्रयास से ...
ReplyDeleteअपनी रहें स्वयं ही ढूँढनी होती हैं...बहुत सुन्दर और सार्थक
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
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