यह एकदिन की इज़्ज़त कुछ अच्छी नहीं लगती
बात समानता की हो तो बात कुछ और होती
प्रतीक्षा उस दिन की,जब अंतराष्ट्रीय
'समानता दिवस' का आगाज़ हो...
पम्मी
बात समानता की हो तो बात कुछ और होती
प्रतीक्षा उस दिन की,जब अंतराष्ट्रीय
'समानता दिवस' का आगाज़ हो...
पम्मी
Exactly...
ReplyDeleteप्रतिक्रियाएँ प्रोत्साहन देती हैं ।
Deleteबहुत बहुत शुक्रिया..
सही कहा है .... समानता और वो भी हमेशा हमेशा ... एक दिन नहीं ...
ReplyDeleteसुन्दर शब्द ....
प्रतिक्रियाएँ प्रोत्साहन देती हैं ।
Deleteबहुत बहुत शुक्रिया..
बिलकुल सच कहा है...सटीक प्रस्तुति...
ReplyDeleteप्रतिक्रियाएँ प्रोत्साहन देती हैं ।
Deleteबहुत बहुत शुक्रिया..
सत्य वचन
ReplyDeleteहोली की शुभकामनाएं
http://savanxxx.blogspot.in
बहुत बहुत शुक्रिया..
Deleteचन्द शब्दों में गहरी और बड़ी बात. विश्व बिरादरी आपके विचार पर अवश्य मंथन करेगी.
ReplyDeleteप्रतिक्रियाएँ प्रोत्साहन देती हैं ।
Deleteधन्यवाद।
अतिविचारक वक्तव्य।
ReplyDeleteमुझे अपने कड़ी में जोड़ने के लिए धन्यवाद। "एकलव्य"
प्रतिक्रियाएँ प्रोत्साहन देती हैं ।
Deleteधन्यवाद।
बहुत खूब। नारी शक्ति को समर्पित बहुत ही सशक्त रचना की प्रस्तुति। बहुत पसंद आई।
ReplyDeleteजी,धन्यवाद..
Deleteसाथॆक प्रस्तुतिकरण......
ReplyDeleteमेरे ब्लाॅग की नयी पोस्ट पर आपके विचारों की प्रतीक्षा....
जी,धन्यवाद..
Delete