Feb 4, 2017

संयोग..



कुछ शक्तियाँ विशाल व्यापक और विराट् है

जिसमें हम खुद को सर्वथा निस्सहाय पाते हैं
हाँ...वो 'संयोग ' ही है

जो हमारे वश से बाहर होती है
बादलों के चाँद,सितारें, राशियाँ और वो एक समय

न जाने ब्रह्मांड में छुपी तमाम शक्तियाँ..
मिलकर इक नयी चाल चलती .. जहाँ हम

चाह कर भी कुछ न कर सकने की अवस्था में पाते हैं तब..

.कुछ टूटे सितारों की आस में
हर रात छत से गुज़र जाती हूँ

आधे -अधूरे बेतरतीब इखरे-बिखरे
पलों,संयोग को समेटते हुए न जाने

कई संयोग वियोग में बदल ..
रह जाती है बस वही इक ...कसक

जी हाँ .. ये कसक

अजीब सी कशाकश की अवस्था
जब्त हो जाती है..
फिक्र पर भी बादल मडराते है,

कुछ सुनना था,जानना था या ...
.बस जरा समझना था
पर...

देखों यहाँ भी संयोग और समय ने अपनी
महत्ता बता दी...

हर जानी पहचानी शक्ल अचानक अज़नबी बन जाती है..

वाकिफ हूँ इस बात से

कुछ शक्तियाँ विशाल व्यापक और विराट् होती है..
                                                                             ©पम्मी सिंह'तृप्ति'      
                                                                           



16 comments:

  1. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete
  2. सच में कुछ अलौकिक शक्तियाँ तो हैं।कई बार ऐसाहोता तो है पर होता है निशब्द सा।ऐसे अनिर्वचनीय अनभूति को खूबसूरत शब्दरुप दिया है आपने।वाह!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. आभार आपकी उपस्थिति का ...
      और विचारपूर्ण शब्दों का..

      Delete
  3. हर जानी पहचानी शक्ल अचानक अज़नबी बन जाती है..
    और कभी अजनबी भी अचानक !
    कुछ जानी पहचानी
    शक्लों में जाते ढल .
    पल भर को थम जाता पल.
    उलझ जाते सपने
    उनींदी आँखों में
    निर्निमेष, अचल!!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका बहुत बहुत आभार गहन व्याख्या एवम् शाब्दिक रचना के लिए।
      धन्यवाद।

      Delete
  4. हर जानी पहचानी शक्ल अचानक अज़नबी बन जाती है..

    वाकिफ हूँ इस बात से

    कुछ शक्तियाँ विशाल व्यापक और विराट् होती है..

    ....कुछ शक्ति तो अवश्य है इस बदलाव के पीछे...बहुत सारगर्भित अभिव्यक्ति...

    ReplyDelete
    Replies
    1. आभार आपकी उपस्थिति
      और विचारपूर्ण शब्दों का...

      Delete
  5. वाह ! क्या कहने हैं ! बहुत सुंदर प्रस्तुति ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपकी टिप्पणी के लिये आभार,सर।

      Delete
  6. कई विराट शक्तियों की ये शख़्सियत है कभी ज़रूरी और कभी अजनबी हो के निकल जाती हैं ... पर बदलाव शक्ति की उपज होती है ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. आभार आपकी उपस्थिति
      और विचारपूर्ण शब्दों के लिए..

      Delete
  7. समय कई सारे संयोगों की एक इकाई ही तो है, ये अपने खजाने से कब क्या प्रस्तुत कर दे कोई नहीं जानता. कब अपने पराए हो जाते हैं और कब अपरिचितों से गहरा लगाव हो जाता है. यही तो इसकी खूबसूरती है... बढ़िया.. बेहद सुंदर रचना... 😊

    ReplyDelete
    Replies
    1. आभार आपकी उपस्थिति
      और विचारपूर्ण शब्दों के लिए..

      Delete
  8. संयोग के आसपास भावों की मार्मिक अभिव्यक्ति. संयोग की सकारात्मकता और नकारात्मकता परिस्थितियों और समय के अनुरूप अर्थ पाती हैं.

    ReplyDelete
  9. इस प्रोत्साहन और उपस्थिति हेतु बहुत बहुत शुक्रिया..

    ReplyDelete
  10. आदरणीय ,संयोग एक शब्द है जो हमारे अच्छे व बुरे कर्मो का ही योग है किन्तु हम मानव किसी भी अनुचित कार्य का स्वयं के द्वारा घटित हो जाने पर अपने आप को बचाने के लिए संयोग शब्द का प्रयोग करते हैं जबकि वास्तव में वही हमारा कर्मफल है। ,सुन्दर रचना ! आभार। "एकलव्य"

    ReplyDelete

कैसी अहमक़ हूँ

  कहने को तो ये जीवन कितना सादा है, कितना सहज, कितना खूबसूरत असबाब और हम न जाने किन चीजों में उलझे रहते है. हाल चाल जानने के लिए किसी ने पू...