अनभिज्ञ हूँ काल से सम्बन्धित सारर्गभित बातों से , शिराज़ा है अंतस भावों और अहसासों का, कुछ ख्यालों और कल्पनाओं से राब्ता बनाए रखती हूँ जिसे शब्दों द्वारा काव्य रुप में ढालने की कोशिश....
Mar 22, 2016
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Women's rights
Grihshobha is the only woman's magazine with a pan-India presence covering all the topics..गृहशोभा(अप्रैल द्वितीय) ( article on women...
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तुम चुप थीं उस दिन.. पर वो आँखों में क्या था...? जो तनहा, नहीं सरगोशियाँ थीं, कई मंजरो की, तमाम गुजरे, पलों के...
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कहने को तो ये जीवन कितना सादा है, कितना सहज, कितना खूबसूरत असबाब और हम न जाने किन चीजों में उलझे रहते है. हाल चाल जानने के लिए किसी ने पू...
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फितूर है..ये, कई दफा सोचती हूँ.. बड़ा अच्छा होता जो 'मैं' तुम्हारे किरदार में होती.. मैं तुम होती और मेरी जगह त...
बहुत सुंदर। आपको रंगोत्सव की बहुत बहुत शुभकामनाएं। पम्मी जी, आपके कई ब्लाग हैं। आप अपने कमेंट में अलग अलग यूआरएल भर कर कमेंट पोस्ट किया कीजिए। आपके अन्य ब्लाग पर पहुंचने में असानी हो जाएगी।
ReplyDeleteबहुत सुंदर। आपको रंगोत्सव की बहुत बहुत शुभकामनाएं। पम्मी जी, आपके कई ब्लाग हैं। आप अपने कमेंट में अलग अलग यूआरएल भर कर कमेंट पोस्ट किया कीजिए। आपके अन्य ब्लाग पर पहुंचने में असानी हो जाएगी।
ReplyDeleteजी, धन्यवाद
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