बेटियो से
मधु मिश्रित ध्वनि से पुछा
कहाँ से लाती हो,
ये मेआर
ये मेआर
नाशातो की
सहर
हुनरमंद तह.जीब,और तांजीम
सदाकत,शिद्दतो की मेआर,
जी..
मैने हँस कर कहाँ
मेरी माँ ने संवारा..
उसी ने बनाया है
स्वयं को कस कर
हर पलक्षिण में
इक नई कलेवर के लिए
शनैः शनैः पोशाक
बदल कर
औरो को नहीं
बस..
इल्म इस बात की
कमर्जफ हम नहीं
हमी से जमाना है...
© पम्मी
© पम्मी
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 10 - 03 - 2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2277 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
Ji,bahut bahut dhanyavad..
ReplyDeleteAbhaar.
Thank you..
ReplyDeleteमेरी माँ ने संवारा..
ReplyDeleteउसी ने बनाया है
स्वयं को कस कर
हर पलक्षिण में
इक नई कलेवर के लिए
शनैः शनैः पोशाक बदल कर
:) sundar abhivyakti ..jsk
Thank you ..
ReplyDeleteवाह..वाह..., क्या खूब लिखा है। ''मैने हँस कर कहाँ
ReplyDeleteमेरी माँ ने संवारा..
उसी ने बनाया है
स्वयं को कस कर
हर पलक्षिण में'' सुंदर शब्दों और भावों से सजी हुई रचना।
वाह..वाह..., क्या खूब लिखा है। ''मैने हँस कर कहाँ
ReplyDeleteमेरी माँ ने संवारा..
उसी ने बनाया है
स्वयं को कस कर
हर पलक्षिण में'' सुंदर शब्दों और भावों से सजी हुई रचना।
जी,धन्यवाद.
ReplyDeleteबहोत अच्छे !by "feelmywords1.blogspot.com"
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