Dec 29, 2015

Shafak

                                                
नव वर्ष  की
 नवोत्थित  शफ़क़ 
यूँ  ही  बनी  रहे 
हमारे  एवानो में 
आसाइशे  से नज़दीकियों की                                                              
सफ़र बहुत छोटी हो                                                                                                                 
साथ  ही उन दहकानों  की दरे 
भी  जगमगाती  रहे . .
ख्वाबों  में  भी
 इन अज़ीयते  से 
दूरियाँ बहुत  लम्बी हो 
 इन्सानियत फ़ना होने से 
 बचती  रहे. . 
अहद ये  करें कि
 फ़साने कम  हो
इक ही  हक़ीक़त बनी रहे . 
ये  शफ़क़ घरो  में 
खिलती रहे..
                     - ©पम्मी..
  

                                 
                                                                                           
शफ़क़ -क्षितिज  की लाली (dawn)
नवोत्थित -नया उठा हुआ (new rising day)
एवानो - महल (palace.home)
आसाइशों -सुख  समृधि (well being)
दहकानों -किसान (farmer)
अज़ीयते - दुख  दर्द (unhappy,sad)
अहद -प्रतिज्ञा (oath)
(चित्र- गूगूल के सौजन्य  से )

16 comments:

  1. बहुत सुन्दर
    आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!

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  2. वाह..., बहुत ही सुंदर अल्‍फाज़ों से सजी हुई रचना की प्रस्‍तुति। नए साल की बहुत बहुत मुबारकबाद।

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  3. वाह..., बहुत ही सुंदर अल्‍फाज़ों से सजी हुई रचना की प्रस्‍तुति। नए साल की बहुत बहुत मुबारकबाद।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आभार एवम् धन्रयवाद सर

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  4. बहुत ख़ूबसूरत अहसास...नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें

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  5. बहुत ख़ूबसूरत अहसास...नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें

    ReplyDelete
  6. वाह..
    गहरा चिन्तन
    सादर

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  7. ब्लॉग को फॉलो किस तरह किया जाए
    इसका विकल्प यहां मौजूद नहीं है
    कृपया सेटिंग पर जाकर
    विकल्प का कान पकड़ कर
    बाहर निकालिए
    सादर

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  8. आपकी कलम..
    आपकी सोच
    और..
    मेरा सम्पादन..शब्द वही..भाव वही
    .....
    नव वर्ष की
    नवोत्थित शफ़क़
    यूँ ही बनी रहे . .
    हमारे एवानो में
    आसाइशे से नज़दीकियों की
    सफ़र बहुत छोटी हो
    साथ ही उन दहकानों की दरें
    भी जगमगाती रहे . .
    ख्वाबों में भी
    इन अज़ीयते से
    दूरियाँ बहुत लम्बी हो
    इन्सानियत फ़ना होने से
    बचती रहे. .
    अहद ये करें कि
    फ़साने कम हो
    इक ही हक़ीक़त बनी रहे . .
    ये शफ़क़ घरो में
    खिलती रहे..
    .....
    अब पढ़िए इसे..
    सादर

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  9. बहुत अच्छी,धन्यवाद

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