नव वर्ष की
नवोत्थित शफ़क़
यूँ ही बनी रहे
नवोत्थित शफ़क़
यूँ ही बनी रहे
हमारे एवानो में
आसाइशे से नज़दीकियों की
सफ़र बहुत छोटी हो
साथ ही उन दहकानों की दरे
भी जगमगाती रहे . .
ख्वाबों में भी
इन अज़ीयते से
दूरियाँ बहुत लम्बी हो
इन्सानियत फ़ना होने से
बचती रहे. .
अहद ये करें कि
फ़साने कम हो
इक ही हक़ीक़त बनी रहे .
ये शफ़क़ घरो में
खिलती रहे..
- ©पम्मी..
शफ़क़ -क्षितिज की लाली (dawn)
नवोत्थित -नया उठा हुआ (new rising day)
एवानो - महल (palace.home)
आसाइशों -सुख समृधि (well being)
दहकानों -किसान (farmer)
आसाइशों -सुख समृधि (well being)
दहकानों -किसान (farmer)
अज़ीयते - दुख दर्द (unhappy,sad)
अहद -प्रतिज्ञा (oath)
(चित्र- गूगूल के सौजन्य से )
(चित्र- गूगूल के सौजन्य से )
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteआपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!
जी,धन्याद.
ReplyDeleteजी, धन्यवाद.
Deleteवाह..., बहुत ही सुंदर अल्फाज़ों से सजी हुई रचना की प्रस्तुति। नए साल की बहुत बहुत मुबारकबाद।
ReplyDeleteवाह..., बहुत ही सुंदर अल्फाज़ों से सजी हुई रचना की प्रस्तुति। नए साल की बहुत बहुत मुबारकबाद।
ReplyDeleteआभार एवम् धन्रयवाद सर
Deleteबहुत ख़ूबसूरत अहसास...नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत अहसास...नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteजी,धन्यवाद सर
ReplyDeleteवाह..
ReplyDeleteगहरा चिन्तन
सादर
जी,धन्यवाद
Deleteब्लॉग को फॉलो किस तरह किया जाए
ReplyDeleteइसका विकल्प यहां मौजूद नहीं है
कृपया सेटिंग पर जाकर
विकल्प का कान पकड़ कर
बाहर निकालिए
सादर
आपकी कलम..
ReplyDeleteआपकी सोच
और..
मेरा सम्पादन..शब्द वही..भाव वही
.....
नव वर्ष की
नवोत्थित शफ़क़
यूँ ही बनी रहे . .
हमारे एवानो में
आसाइशे से नज़दीकियों की
सफ़र बहुत छोटी हो
साथ ही उन दहकानों की दरें
भी जगमगाती रहे . .
ख्वाबों में भी
इन अज़ीयते से
दूरियाँ बहुत लम्बी हो
इन्सानियत फ़ना होने से
बचती रहे. .
अहद ये करें कि
फ़साने कम हो
इक ही हक़ीक़त बनी रहे . .
ये शफ़क़ घरो में
खिलती रहे..
.....
अब पढ़िए इसे..
सादर
बहुत अच्छी,धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत
ReplyDeleteजी, धन्यवाद.
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