नीयत
खामोश जबानों की भी खुद की भाषा होती है
कभी अहदे - बफा के लिए ,
कभी माहोल को काबिल बनाने के लिए
मु.ज्तारिब क्या करू
नीयत नहीं . .
दूसरोंं पर कीचड़ उछाल कर
ख़ुद को कैसे साफ़ रखू
कभी खुद के घोंंसले ,
कभी दूसरोंं के तिनके
की पाकीज़गी बनाए रखने की , नीयत
मुख्तलिफ़ होकर भी
मुक्कमल जहान है
ये ख़ामोशी नहीं अपनी मसरुफ़ियत
ज़रा सी..
चंद खुशियों को महफूज़ रखने की ,नीयत
कभी खुद के घोंंसले ,
कभी दूसरोंं के तिनके
की पाकीज़गी बनाए रखने की , नीयत
मुख्तलिफ़ होकर भी
मुक्कमल जहान है
ये ख़ामोशी नहीं अपनी मसरुफ़ियत
ज़रा सी..
चंद खुशियों को महफूज़ रखने की ,नीयत
यही तो जीवन की उपलब्धि है...बहुत सुन्दर और सटीक चिंतन...
ReplyDeleteधन्यवाद,प्रतिक्रया हेतु आभार ..सर
Deleteबहुत खूब जी |
ReplyDeleteप्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद
Deleteवाह..., क्या बात है। ''खामोश ज़बानों की भी खुद की भाषा होती है'' दिल को छू जाने वाली रचना की प्रस्तुति। अच्छी बात यह कि आपने अपने कमेंट में अपना यूआरएल डाला। इससे मैं आपके ब्लाग पर महज 3 सेंकेड में पहुंच सका। धन्यवाद।
ReplyDeleteवाह..., क्या बात है। ''खामोश ज़बानों की भी खुद की भाषा होती है'' दिल को छू जाने वाली रचना की प्रस्तुति। अच्छी बात यह कि आपने अपने कमेंट में अपना यूआरएल डाला। इससे मैं आपके ब्लाग पर महज 3 सेंकेड में पहुंच सका। धन्यवाद।
ReplyDeleteजी,धन्यवाद
ReplyDeleteसुंदर और लाजवाब रचना.....
ReplyDeleteजी,धन्यवाद ..
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ReplyDeleteEbook publisher India|Online ISBN Provider
जी,धन्यवाद
Deleteबहुत उम्दा रचना
ReplyDeleteजी, धन्यवाद..
Deleteबहुत सुलझे ढंग से विचारों की प्रस्तुति । हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteबहुत सुलझे ढंग से विचारों की प्रस्तुति । हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteजी प्रतिक्रिया हेतु आभार..
ReplyDeleteवाहहह... क्या बात बहुत खूब👌
ReplyDeleteशुक्रिया श्वेता जी..
Deleteवाह उम्दा और बेहतरीन ख्याल पम्मी जी।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना।
शुभेच्छा सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु आभार..
Deleteखामोश जबानों की भी खुद की भाषा होती है
ReplyDeleteवाह!!!!
बहुत सुन्दर, सार्थक और लाजवाब अभिव्यक्ति...
शुभेच्छा सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु आभार..
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