अहो!!
मतवारी हुई फागुनी रंग में
नैन हुई मतवाली भंग में
रंग,रुबाई अंग -अंग में,
अहो!!बोलों तो सही
फागुन कहाँ कहाँ बसायें हो?
समंदर समाया आज गिलास में..
नाचते बादल जमीं के तलाश में..
कदम लहक रहे फागुनी बतास में.
अहो!!बोलों तो सही
शरबत में क्या क्या मिलायें हो?
नजर बदल गयीं या नजारे बदल गये
रू ब रू हो तो सही..
पर कैसा भ्रम है..
ये..आँखों पे अहो!!
आज कौन सा चश्मा सजाये हो?
पम्मी सिंह 'तृप्ति'✍️
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शुक्रवार 10 मार्च 2023 को साझा की गयी है
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आभार
Deleteनजर बदल गयीं या नजारे बदल गये
ReplyDeleteरू ब रू हो तो सही..
पर कैसा भ्रम है..
ये..आँखों पे अहो!!
आज कौन सा चश्मा सजाये हो?
वाह!!!
मस्त एवं जबरदस्त फागुनी रंग में रंगी लाजवाब कृति
शुभेच्छा संपन्न ..प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद😊
ReplyDeleteबहुत अच्छा
ReplyDelete