चित्राभिव्यक्ति रचना
सायली छंद
मासूम
निगहबान नजर
बढाती उम्मीदें, ख्वाहिशें
सीचती मेरी
जमीन।
पम्मी सिंह 'तृप्ति'
2.
जख्म
वजह बनी
प्रेरित करती आत्मशक्ति,
सुलझती रही
उलझनें।
अनभिज्ञ हूँ काल से सम्बन्धित सारर्गभित बातों से , शिराज़ा है अंतस भावों और अहसासों का, कुछ ख्यालों और कल्पनाओं से राब्ता बनाए रखती हूँ जिसे शब्दों द्वारा काव्य रुप में ढालने की कोशिश....
दिल्ली प्रेस से प्रकाशित पत्रिका सरिता (फरवरी प्रथम) में छपी मेरी लेख "सरकार थोप रही मोबाइल "पढें। सरिता का पहला संस्करण 1945 में ...