Sep 26, 2019

ऐसे ही..कुछ बातें...




1

मेरी ज़िद ही ग़लत बनी कि आप के बाद ज़र-जमीं को संभालूँ

अब किसी में न वो बात रहा न ही आप जैसी बात करती हूँ
हजारों बदगुमानी रोज़ उभर कर, तोहमतों से सजती रही-
इसलिए आजकल ज़िंदगी से ज़रा कम- कम बात करती हूँ।
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍

2

रिश्तों की तिजारत मेरी आदत में शुमार नहीं
गिरहों की इबादत मेरी आदत में शुमार नहीं
कूचा - ए - शहर में अब सब नमक लिए बैठे हैं-
पत्थरों की परस्तिश मेरी आदत में शुमार नहीं।

         पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍

Sep 8, 2019

कुछ अलग सी बातें..



विषय से इतर मैं कुछ बात आप सभी सुधीजनों के समक्ष साँझा कर रही हूँ..
विगत दो साल से हमारे परिवार के समक्ष बहुत सारी परेशानियाँ आई, या कहें तो ..जिंदगी हमें आजमा रही थी, परख रही.. छोटी बहन अपने काम के सिलसिले में अमेरिका गई..20 दिन बाद जब लौटी तो महज एक छोटी सा लाल दाना जो तीन, चार दिन पहले ही उभर आया था उसे दिखाने डॉ के पास गई। पर...जो न सुनना था वहीं डॉ ने बोला..कैंसर है..जल्द ही इलाज शुरू करें।

खैर इलाज भी शुरू हो गया पर वो अपनी कामों के प्रति अपनी बिमारी के वज़ह से कभी भी कमजोर नहीं हुई।
अभी इन कठिन परिस्थितियों से हम सभी सामना कर ही रहे थे कि माँ का अचानक ब्रेन हेमरेज हो गया। हम सभी लाचार हो सब देखते रहे। मानो उपर वाले ने परखने की लकीरें बड़ी गहरी बनाई हो।
बेबी (अमिता) तो शारीरीक और मानसिक दोनों और से परेशान थी,बहुत कर्मयोगी हैं.. देखने में छोटी हैं।🙂 थोड़ी जिद्दी भी है..पर ये काम की जिद्द न..कुछ कर गुजरने की वज़ह बनती है।
लगातार दो साल तक अथक प्रयास के बाद वो कई बाधाओं को पार कर अमेरिका से उपर्युक्त विषय पर पेटेंट मिला।
1. DISASTER PREDICTION RECOVERY: STATISTICAL CONTENT BASED FILTER FOR SOFTWARE AS A SERVICE

2. REWARD-BASED RECOMMENDATIONS OF ACTIONS USING MACHINE-LEARNING ON TELEMETRY DATA

3INTEGRATED STATISTICAL LOG DATA MINING FOR MEAN TIME AUTO-RESOLUTION 
बहुत ही खुशी के साथ गर्व की बात है।
मम्मी, पापा (श्री राम प्यारे सिंह, श्रीमती उषा सिंह )का नाम कर दी। पापा हमेशा बोलते थे बेटों से थोडी कम हो तुमलोग..न ही पढ़ाई में अपनी तरफ से कोई कमी की।
हम महिलाओं को भी तुम पर नाज़ है। कौन कहता है कि भाषा का माध्यम inventor, research के मार्ग में बाधा उत्पन्न करती है।
तुम पर तुम्हारा स्कूल, कॉलेज, बिहार,परिवार सब को गर्व है।
बातें तो बहुत सी है..पर इतने पर ही समाप्त कर रही हूँ..
दुष्यंत कुमार जी के शब्दों के साथ..
"कैसे आकाश में सूराख़ हो नहीं सकता
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो"
असीम शुभकामनाएँ।

इस लिंक पर विस्तृत वर्णन है..
https://patents.justia.com/search?q=amita+Ranjan

Sep 7, 2019

माहिया



12 1012
माहिया

1

ज़ख्मों को निहाँ रखना

फ़ासले दूर कर,
जिस्त से निबाह करना

निहाँ ः छुपाना
2
मिट्टी के किरदार में
दुनिया तमाम है 
खूबसूरत रिश्तों में ..
3.

किसी नादाँ शौक से
उजड़ रही बगिया,
चूप न रहो शौक से ।


4.
मुक्कमल हर बात हुई 
कदम पड़े छत पे 
दिन में मह रात हुई ।

5
अमावस के स्याह में 
शाम गुजार रहा
बेखुदी में जल रहा

पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍

कैसी अहमक़ हूँ

  कहने को तो ये जीवन कितना सादा है, कितना सहज, कितना खूबसूरत असबाब और हम न जाने किन चीजों में उलझे रहते है. हाल चाल जानने के लिए किसी ने पू...