Apr 23, 2019

विश्व पुस्तक दिवस ..मुक्तक





मुक्तक
१.
किताबों की सोहबत ही अच्छी रही
मोहब्बत की कहानियां इनमें मरी नहीं
छिपायें अदीबों ओ तालीम की गौहर- 
खामोश,पर बहुत कुछ बोलती रही


२.
किताबों की सोहबत में तकदीर संवरती है..
कातिबों के क़सीदे से तहरीर निखरती है
औहाम की तंग गलियों से निकाल-
मुक्कमल किरदार की तश्वीर संवरती है।
                            पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍

(औहाम भ्रान्ति, धोखा, भ्रम)

13 comments:

  1. सच है की किताबो की सोहबत कभी उदास नहीं होने देती ... सपनों की आदत रहती है ...
    ये अच्छी दोस्त हैं ... साथी हैं ...

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    1. प्रतिक्रिया हेतु आभार।

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  2. किताबों की दुनिया जीवंत होती है...
    बहुत खूब

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    1. प्रतिक्रिया हेतु आभार।

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  3. सुंदर के साथ साथ सार्थक भी। बधाई।

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    1. जी,धन्यवाद।प्रतिक्रिया हेतु आभार।

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  4. पुस्तकें सबसे प्रिय साथी हैं, कभी उदास नहीं होने देतीं... बहुत सुन्दर..

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  5. बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति

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  6. किताबों की सोहबत ही अच्छी रही
    मोहब्बत की कहानियां इनमें मरी नहीं
    बहुत खूब पम्मी जी | ये किताबों की सोहबत का ही नतीजा है कि दुनिया में बहुत कुछ ज़िंदा है जो दुनिया को चलाने की कुव्वत रखता है | सस्नेह |

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