साहित्यिक पत्रिका "अर्य संदेश " विगत १० वर्षो से
साहित्यिक क्षेत्र में नित्य सलग्न हैं..
मेरी प्रकाशित रचना..
मुक्त नज्म
शाह सियासत उसूलों पर भी रंग बदलती है
निस्बत पत्थरों से रहमत का न तकाज़ा रखों,
निजाम- ए- शाह की जो बढ़ी बदकारियां
मुल्क के हालात पर आँखें खुली रखों,
सियासत गर वहशत, नफ़रत पर मुस्कराने लगे
आँखों में सवाल के संग मुठ्ठी ताने रखों,
दहकानों को मयस्सर नहीं दो जून के निवाले
इरादों में ईमान, आँखों में पानी रखों,
सिलसिला शह और मात पर जारी रहेगी
मुन्सिफ़ के कशीदाकारी पर मुख्तारी रखों।
©पम्मी सिंह'तृप्ति..