जश्न की हर बात पर
आज़माईशों का रंग बदला है..
गुनाहों के देवता से रफ़ाकत जता
मौजूद हालातों का गम निकला है..
क़ाइल करूँ किस शाह,सियासत पे
शहर ,दहर ,खबर में रोजगार का तुफ़ निकला है..
आज़माईशों का रंग बदला है..
गुनाहों के देवता से रफ़ाकत जता
मौजूद हालातों का गम निकला है..
क़ाइल करूँ किस शाह,सियासत पे
शहर ,दहर ,खबर में रोजगार का तुफ़ निकला है..
गश खा रहा है बागबां भी
परस्तिशों के मौसम में
नुमाइशों का भी दम निकला है
पशेमान है नारास्ती भी..
काविशों के दौर में
हर शय में अब
साजिशों का भी ख़म चला है...
©पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️
©पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️
- नारास्ती= कपटता, बेईमानी,
- परस्तिश= पूजा, अराधना,काविश -प्रयत्न,
- पशेमान= लज्जित
- तुफ़: .श्राप,बरबाद curse, शहर-ए-शिकस्ता ..तुटा हुआ शहर, काइल ः सहमती agree