Apr 28, 2017

शनासाई सी ये पच्चीस..


ये है हमारी रूदाद..

शनासाई सी ये पच्चीस वर्ष शरीके-सफर के साथ


सबात लगाते हुए


असबात कभी अच्छी कभी बुरी की..


ताउम्र बेशर्त शिद्दत से निभाते रहे..


सोचती हूँ ये जिंदगी रोज़ नई रंगो में ढलती क्यूँ हैं..

कई दफ़ा कहा..


कभी इक रंग में ढला करो..


गो एक हाथ से खोया तो दूसरे से पाया


हादिसे शायद इस कदर ही गुज़र जाती है..


शादाबों का मलबूस पहन


तरासती हूँ उस उफक को जो धूंध से परे हो..


मामूल है ये जिंस्त हर ख्वाब-तराशी के लिए


सबब है उल्फत की जिनमें सराबोर है चंद


मदहोशियाँ,सरगोशियाँ,गुस्ताखियाँ और बदमाशियाँ


वाकई.. पर मौत को वजह नहीं बनाने आई हूँ।

                                                             ©पम्मी सिंह 
                                                                  

(रूदाद-story,शनासाई-acquaintances,

सबात-stability,असाबात-दावा,गो-यद्यपि
शादाबों-greenblooming,मलबूस-पोशाक dress,उफक-क्षितिज, मामूल-आशावादी,सबब-कारण, उल्फत-प्रेम)

http://www.bookstore.onlinegatha.com/bookdetail/368/kavya-kanchhi.html

15 comments:

  1. वाह ! क्या कहने हैं ! लाजवाब !! बहुत खूब

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    1. प्रेरक टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार।

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  2. माशा अल्लाह! उर्दू के मखमली मलबूस में बेनज़ीर रूदाद!

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    1. आपकी समीक्षात्मक प्रेरक टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार।

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  3. वाह !!
    बहुत सुन्दर.....
    सोचती हूँ ये जिंदगी रोज़ नई रंगो में ढलती क्यूँ हैं..
    लाजवाब....।

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  4. वाह !!
    बहुत सुन्दर.....
    सोचती हूँ ये जिंदगी रोज़ नई रंगो में ढलती क्यूँ हैं..
    लाजवाब....।

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    1. रचना पढने व उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,

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  5. बहुत खूब ... मखमली शब्दों से रूहानी एहसास लिए लाजवाब रचना ...

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    1. रचना पढने व उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,

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  6. ज़िन्दगी के आरोह -अवरोह जब विविध रंगों के साथ उभरते हैं तो कुछ ऐसी ही उम्दा मार्मिक रचना के साथ दिल को छूते हैं। शब्दों के अर्थ लिख देना एक बेहतर विकल्प है पाठकों को रचना का मर्म समझने में सहायता के लिए।

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    1. रचना पढने व उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

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  7. लाजवाब रचना.....
    mere blog ki new post par aapka swagat hai.

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  8. बहुत ही शानदार और प्रभावी रचना की प्रस्तुति। मुझे बेहद पसंद आई। अच्छे लेखन के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं। रचना बहुत पसंद आई।

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  9. प्रेरक टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार।

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