अनभिज्ञ हूँ काल से सम्बन्धित सारर्गभित बातों से , शिराज़ा है अंतस भावों और अहसासों का, कुछ ख्यालों और कल्पनाओं से राब्ता बनाए रखती हूँ जिसे शब्दों द्वारा काव्य रुप में ढालने की कोशिश....
Mar 24, 2017
Mar 7, 2017
महिला दिवस
यह एकदिन की इज़्ज़त कुछ अच्छी नहीं लगती
बात समानता की हो तो बात कुछ और होती
प्रतीक्षा उस दिन की,जब अंतराष्ट्रीय
'समानता दिवस' का आगाज़ हो...
पम्मी
बात समानता की हो तो बात कुछ और होती
प्रतीक्षा उस दिन की,जब अंतराष्ट्रीय
'समानता दिवस' का आगाज़ हो...
पम्मी
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Women's rights
Grihshobha is the only woman's magazine with a pan-India presence covering all the topics..गृहशोभा(अप्रैल द्वितीय) ( article on women...
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तुम चुप थीं उस दिन.. पर वो आँखों में क्या था...? जो तनहा, नहीं सरगोशियाँ थीं, कई मंजरो की, तमाम गुजरे, पलों के...
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कहने को तो ये जीवन कितना सादा है, कितना सहज, कितना खूबसूरत असबाब और हम न जाने किन चीजों में उलझे रहते है. हाल चाल जानने के लिए किसी ने पू...
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फितूर है..ये, कई दफा सोचती हूँ.. बड़ा अच्छा होता जो 'मैं' तुम्हारे किरदार में होती.. मैं तुम होती और मेरी जगह त...