Dec 28, 2016

आनेवाली मुस्कराहटों .....

लो गई..
उतार चढ़ाव से भरी
ये साल भी गई...
गुजरता पल,कुछ बची हुई उम्मीदे
आनेवाली मुस्कराहटों का सबब होगा,
इस पिंदार के साथ हम बढ़ चले।

जरा ठहरो..देखो
इन दरीचों से आती शुआएं...
जिनमें असिर ..
इन गुजरते लम्हों की कसक, कुछ ठहराव और अलविदा कहने का...,
पयाम...नव उम्मीद के झलक
कुसुम के महक का,

जी शाकिर हूँ ..
कुछ  चापों की आहटों से
न न न न इन रूनझून खनक से...,

हाँ..
कुछ गलतियों को कील पर टांग आई..,

बस जरा सा..
हँसते हुए ख्वाबों ने कान के पास आकर हौले से बोला..
क्या जाने कल क्या हो?
कोमल मन के ख्याल अच्छी  ही होनी चाहिए..।
                                                                  ©  पम्मी सिंह  
                                                     
        (पिंदार-self thought,शाकिर- oblige )                                           





13 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 29-12-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2571 में दिया जाएगा ।
    धन्यवाद

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  2. वाह ! बहुत सुंदर प्रस्तुति। बहुत खूब।

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  3. नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं। अब तक मिले स्नेह और सम्मान के लिए मैं आप का तहे दिल से आभार व्यक्त करता हूँ। ऐसे ही ये सफर चलता रहे।

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  4. जी, धन्यवाद..
    आपको भी नव वर्ष की मंगलकामनाएँ..

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  5. Thank you so much for reading and appreciating.

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    1. प्रतिक्रिया हेतु आभार...

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  7. hi everyone, pls visit my blogsite, follow me follow you :))

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  8. बहुत ही सुंदर पोस्‍ट। नववर्ष की आपको हार्दिक शुभकामनाएं। नया वर्ष आपके लिए ब्‍लागिंग के क्षेत्र में नए आयाम लेकर आए ऐसी मेरी कामना है।

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    1. प्रतिक्रिया हेतु आभार...
      नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

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