जिनमें असीर है कई बातें जो नक़्श से उभरते हैं
खामोशियों की क्या ? कोई कहानी नहीं...
ये सुब्ह से शाम तलक आज़माए जाते हैं
क्यूँकि हर तकरीरें से तस्वीरें बदलती नहीं
न ही हर खामोशियों की तकसीम लफ़्जों में होती
रफ़ाकते हैंं इनसे पर चुनूंगी हर तख़य्युल को
जब खुशी से वस्ल होगी...
© पम्मी सिंह
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(आसीर-कैद ,तकरीर-भाषण,रफाकते-साथ,तख़य्युल-विचारो,तकसीम-बँटवारा )
Very good
ReplyDeleteThankyou☺
DeleteWah Kya Baat hai
ReplyDeletebahut khub
जी,घन्यवाद.
Deleteबहुत सुंदर रचना है.
ReplyDeleteआभार...
ReplyDeleteवाह!!बहुत सुन्दर
ReplyDeleteपम्मी जी आपकी रचनाओं में उर्दू शब्दों का प्रयोग अधिक होता है. मेरी उर्दू बहुत कमजोर है. मैने समझने की कोशिश की पर जेहन में अच्छी तरह से उतार नहीं पाई. कृपया सभी उर्दू के शब्दों के अर्थ भी लिखा करें. आभारी☺️
ReplyDeleteवाह!!!
ReplyDeleteखामोशियों की क्या?कोई कहानी नहीं....।
सार्थक प्रस्तुति
आपका सकारात्मक विचार स्वागतयोग्य है. टिप्पणी के लिये आभार।
Deleteवाह ! क्या कहने है ! लाजवाब प्रस्तुति ! बहुत खूब
ReplyDeleteआपका सकारात्मक विचार स्वागतयोग्य है. टिप्पणी के लिये आभार।
Deleteवाकई मीठी जुबान में रूहानी अफ़साने क़ाबिले तारीफ है। ऊपर से सूद में उर्दू की तालीम अलग से। बहुत बहुत शुक्रिया!
ReplyDeleteबेहतरीन..
ReplyDeleteये सुब्ह से शाम तलक आज़माए जाते हैं
क्यूँकि हर तकरीरें से तस्वीरें बदलती नहीं
स्वास्थ्य का ध्यान रखिएगा
सादर..
बहुत ख़ूब
ReplyDeleteबहुत ख़ूब
ReplyDeleteबहुत ख़ूब
ReplyDeleteसुंदर रचना
ReplyDeleteसंगीता दी के परिश्रम स्वरूप आपकी पुरानी रचना को पढ़ने का सौभाग्य मिला,बेहद रूहानी रचना ,हार्दिक ख़ुशी हुई आप सभी ने इस जंग को मात दे दिया। उम्मीद है अब स्वस्थ बेहतर होगा ,सादर नमन पम्मी जी
ReplyDeleteखामोशियों की क्या ? कोई कहानी नहीं...वाह...हर खामोशी की हजार कहानियां हैं, लेकिन कितनी कहानी हो पाती हैं ये वक्त तय करता है। बहुत खूब
ReplyDeleteवाह ! बहुत सुंदर !
ReplyDeleteये सुब्ह से शाम तलक आज़माए जाते हैं
ReplyDeleteक्यूँकि हर तकरीरें से तस्वीरें बदलती नहीं
बहुत खूब पम्मी जी ! आपकी पुरानी रचना को पढ़कर और आपको स्वस्थ , , सक्रिय देखकर बहुत ख़ुशी हुई | जल्द ही पूर्ण स्वस्थ होकर ब्लॉग पर वापसी करेंगी , ऐसी कामना करती हूँ | हार्दिक शुभकामनाएं|