Jan 23, 2023

आहोजारी..

 


आहोजारी करें तो भी किससे करें,

हम अपनों से ही ठोकर खाये हुये है।

कहने को रिश्तों के रूप बहुत है मगर,

हम कुछ रिश्ते को निभाकर साये हुये हैं।

पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️

(आहोजारी-शिकायत)

..

आजकल ..

मौसम बदलते हैं, जादू की तरह,
दिन निकलते है ,जुगनू की तरह,
बदल डालें पैरहन, मिजाज देख
फिर रू-ब-रू हुये ,सर्द गुल-रू की तरह।
पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️
(गुल-रू-rosy face)

..


समस्या दिखाई भी जा रही है

 समस्या बताई भी जा रही है

 सब हैं हैरान परेशान नादान,

 रिश्ते पर,निभाई भी जा रही है।

तृप्ति

4 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 22 अक्टूबर 2023 को लिंक की जाएगी .... https://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. बहुत सुंदर रचना

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  3. बहुत ही सुन्दर कविता

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अनकहे का रिवाज..

 जिंदगी किताब है सो पढते ही जा रहे  पन्नों के हिसाब में गुना भाग किए जा रहे, मुमकिन नहीं इससे मुड़ना सो दो चार होकर अनकहे का रिवाज है पर कहे...