Oct 29, 2021

अप्रकाशित कमजोर लघुकथा

 






विश्व भाषा एकादमी(रजि),भारत की राजस्थान इकाई द्वारा लघुकथा पर अनोखा कार्य।

अनूठा श्रमसाध्य लघुकथा संग्रह। यह संग्रह न केवल विशिष्ट रूप में है बल्कि लघुकथा के शोधकार्यो में भी सिद्ध होगा।

शुभकामना संग हार्दिक आभार।

Page no 76 पर मेरी रचना।


यह संग्रह निम्न लिंक पर पढा जा सकता है।

https://vbaraj.blogspot.com/2021/10/blog-post.html



https://vbaraj.blogspot.com/2021/10/blog-post.html?


Oct 6, 2021

रस्मों में यूँ रुस्वा न करों मुझको..

 


इक साज हमारा है इक साज तुम्हारा है
लफ्जों संग वो साहब- नाज़ तुम्हारा है,


इल्जाम लगाकर यूँ जख्मों को सजाए क्यूँ
चलों धूप हमारी है, सरताज तुम्हारा है,


अब कौन यहाँ जज़्बातों की फ़िक्र करता है
हर बार कसम दे अपनी, मि'जाज तुम्हारा है,


रस्मों में  यूँ रुस्वा न करों मुझको
फूलों से' भरा आँगन, औ ताज तुम्हारा है,

ये वक्त नुमायाँ है या शामिल तकदीरें
अब कैद रिहाई की रस्में',
अंदाज तुम्हारा है...#तृप्ति
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️



साहब नाज.. companion of grace.
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कैसी अहमक़ हूँ

  कहने को तो ये जीवन कितना सादा है, कितना सहज, कितना खूबसूरत असबाब और हम न जाने किन चीजों में उलझे रहते है. हाल चाल जानने के लिए किसी ने पू...