Mar 9, 2020

रंगोत्सव..



कुंडलियां

रंग रंगीला साजना, करें बहुत धमाल।
फगुआ गाय घड़ी- घड़ी,करके मुखड़ा लाल।
करके मुखड़ा लाल, मरोड़ी मेरी कलाई।
कोमल सी नार मैं, छेड़ों न मेरी सलाई।
भीगी तृप्ति सोच रही, क्यूँ शिव बूटी माजना।
सांवली सूरत में , रंग रंगीला साजना।।
 पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍





मुक्तक
हर रंग सार लूँ इस होली में
खुशरंग उतार लूँ इस होली में
सन्नाटों के महफिल गंवारा नहीं-
एक फाग गा लूँ इस होली में।
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍







कैसी अहमक़ हूँ

  कहने को तो ये जीवन कितना सादा है, कितना सहज, कितना खूबसूरत असबाब और हम न जाने किन चीजों में उलझे रहते है. हाल चाल जानने के लिए किसी ने पू...