कुछ
भावनाओं , संवेदनाओं एवम विचारों की प्रस्तुतिकरण की प्रयास ताकि शब्द और भावो की अभिवयक्ति संजीदगी से हो कुछ से सबकुछ का सफर..…
ये जिन्दगी की राह हमें अनेक घटनाओं से रूबरू कराती है। चुन-चुन कर थोड़ी ख़ुशी ज्यादा से बहुत जयादा की अपेक्षा मे अनेकाएक फूल और पत्तों को झोली मे डालने के क्रम मे न जाने कितनी बार कभी हाथो को तो कभी अपनी मनोभावों को इच्छा अनिच्छा से घायल करना और होना पड़ा.….... देखा जाए तो अवसरों का अभाव न पहले था न होगा।
कुछ अवसरें भी प्राप्त होती हैं । प्रश्न गुणवत्ता एवं मात्रा की होती है, सफलता की महत्ता चुनाव पर निर्भर है। कब , कहाँ और कैसे , किस तरह के प्रश्न। हाँ … ये प्रश्न आकांक्षा और समाधान के चक्रव्यूह मे ही तो है। जिंदगी की एक बड़ी भाग इसी तनाव में गुजर जाती है कि इच्छा क्या है ? किसी एक की चुनाव और कोशिश मे चूक हो जाती है. . असमंजसता , अपेक्षताएं की स्थिति बलवती होती है कि विवेकशुन्यता की ओर कदम बढ़ती हुई जान पड़ती है। संघर्ष की प्राररभाव भी यही से उद्भव होती है रेत हथेलियों मे ही रहे.…
इस जद्दोज़हद को फलदायक रूपी बनाने के लिए संघर्षशीलता , कर्मठता और संकल्पता की पृष्ठभूमि को सुदृढ़ करने की आवश्कता है। भूमि का प्रभाव सकारात्मक हो तो कर्तव्य निर्वाहन की ओर अग्रसर। क्षणिक व्यवस्थाओं और अव्यवस्थाओं से ऊपर उठ कर क्रियात्मक अनुशीलन ही जीवन निर्वहन है।
कुछ अपनत्व की चाह में , राह में..… रिश्तों को जोड़ने- तोड़ने , समझने की व्याकुलता कतिपय कारणों से अनेक मनोगत भावों से गुजरना पड़ा क्योकि समस्त भाव व्यक्त करने मे नहीं आती, कुछ भाव भंगिमा से शेष क्रियात्मक की श्रेणी मे आती हैं। यहाँ दूरदर्शिता के प्रभाव से नहीं बचा जा सकता परन्तु मात्र स्वपनशील न होकर समाधानकर्ता के रूप मे किया जाए तो सफलता अवश्य है। कुछ या किसी एक का चुनाव एवम कर्म के प्रति उत्कण्ठा को जागृत करना सदसत् प्रवृत्तिओं की संघर्ष है। साधारण मनुष्यों (कुछ और किसी एक ) में सम्बन्ध गहरा है , द्व्न्द् सदा से रही है। इनका होना जीवनशैली की सार्थकता और संतुलित प्रदान करती है।
आम हुँ पर संज्ञाशून्य नहीं इसलिए लाख जतन के बाद भी कृतित्व गहरी नींद मे नहीं है..…कुछ और हरी भरी की चाह मे संघर्षरत बनी रहेगी।